पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५९५

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५९३ चढदशमुला: मकान पूर्व 6 में ॥ बख पड़ा उनसे इधर पद बस भेजा हमने रूह अपनी को अ थात् फ़रिश्ता बख सूरत पकड़ी वास्ते उसके भादमी पुष्ठ की ॥ कहने लगी निश्चय में शरण पकड़ती हूं रहमान की तु ये जो है तू परहेज़गार ॥ कहने लगा विव।य द म इसके नहीं कि मैं भेजा हुआ हूं मालिक तेरे के ये दो कि जाऊं तुमको ल का पवित्र ॥ कहा कैसे होगा वास्ते मेरे लड़का नहीं हाथ लगाया मुझकोआदमी ने नहीं मैं बुरा काम करनेवाती ॥ बख गर्भित होगई साथ उसके और जापड़ी 'साथ उसके मकान दूर अर्थात् जंगल में ॥ सं० ४ । कि ० १६ । सू० १३ आ ० १५ व १६ । १७। १८१९ । २१ । समीक्षक-अब बुद्धिमान विचार लें कि फ़रिश्ते सब खुदा की रूइ हैं तो खुदा ये अलग पदार्थ नहीं हो सकते दूसरा यह अन्याय कि वइ सoम कुमारी के लड़का .होना, किसी का संग करना नहीं चाहती थी परन्तु खुदा के हुक्म से फ़रिश्ते ने उसको गर्भवती किया यह न्याय के विरुद्ध बात है । यहां अन्य भी यभ्यता की बात बहुत लिखी हैं उनको लिखना उचित नहीं समझा ॥ १०७ !! १०८-क्या नहीं देखा तू ने यह कि भेजा हमने शैतानों को ऊपर काफ़िरों के बहकाते हैं उनको बहुकाने कर ॥ में ० ४ । हि० १६ 1 यू - १३ । आ० ८१ ॥ समीक्षकजब खुदा ही शैताों को बहकाने के लिये भेजता है तो बहकाने वालों का कुछ दोष नहीं हो सकता और न उनको दण्ड हो सकता और न शै- वारों को क्योंकि यह खुद के हुक्म से सब होता है इसका फल खुदा को होना चाहिये, जो सच्चा न्यायकारी है तो उसका फल दोजख अपही भोगे और जो न्याय को छोड़ के अन्याय को करे तो अन्याय हुआ अन्याय की ही पापी - दाता हैं 17 १० ८ ! १०९- र निश्चय क्षमा करनेवाला हूं वास्ते उस मनुष्य के तोबा:की और ईमान लाया कर्म किये अच्छे फिर मार्ग १या ॥ में ० 8 ।ख ० १६ ।सू० २० । झा० ७ 3 • । समीक्षक-—जो तोवाः ये पाप क्षमा करने की बात कुरान में है यह संवको रख यद पापी करनेवाली है क्योंकि पापियों को इससे पाप करने का हद T - जाता है इससे यह पुस्तक और इसका मुनानेवाला पापियों को ए!ए करने में