पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/६०३

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६०१ _ - ! कोई मामला बिगाड़ दें वा किसी मुद्दे को छोड़ जायं तो खुदा को क्या मालूम हो सकता है १ साल्लुम तो उसको हो कि जो सर्वेश तथा सर्वव्यापक हो सो तो है ही नहीं होवा तो फ़रिश्तों के भेजने तथा कई लोगों की कई प्रकार से परीक्षा लेने का क्या। काम था १ और एक हजार वर्षों में तथा माने जाने प्रबन्ध करने से सर्वशक्तिमान भी नहीं। यदि मौत का फ़रिश्ता है तो उस रिश्ते का मारनेवाला कौनसा मृत्यु है ? यदि वह नित्य है तो अमरपन में खुदा के बराबर शरीक हुआ, एक रिश्ता एक समय में दोजख भरने के लिये जीवों को शिक्षा नहीं कर सकता और उनको विना पाप किये अपनी मर्जी से बोज़बू भर के उनको दुःख देकर तमाशा देखता है तो वह खुदा पापी अन्यायकारी और दयाहीन है । ऐसी बातें जिस पुस्तक में हों न वह्न विहार और ईश्वरल और जो दया न्यायइान है वह ईश्वर भी कभी नही होसकता ॥ १२५ ॥ १२६कह कि कभी न लाभ देगा भागना तुझको जो भागो तुम मृत्यु वा कतल से ॥ ऐ बीबियो नबी की जो कोई आबे तुम में से निकुंज्ञता प्रत्यक्ष के दुगुणा किया जावेगा वास्ते उसके आजाब और है यह ऊपर अल्लाइ के दहल ॥ मं० ५ । खि० २१ 1 ३३ । आ १६ । ३० ॥ 6 ० ५। समीक्षक-यद मुहम्मद साहेब ने इसलिये लिखा लिखवाया होगा कि लड़ाई में कोई न भागे हमारा विजय होवे मरने से भी न डरे ऐश्वर्य बड़े मजदैव बढ़ा लेनें १ और यदि बीबी निर्लज्जता से न आवे तो क्या पैग़म्बर साहेय निर्ती होकर आाद ? बीवियों पर अजाव हो और पैगम्बर सद्दे पर अज़ब न होवे यह खि घर का न्याय है ॥ १२६ ॥ १२७-और अटकी रो बीच घरों अपने के आज्ञा पालन करो आई और रसूल की सिवाय इसके नहीं ॥ बस जब अदा करली जैदने हजित उखये व्याइ दिया हमने तुझ से उस ो ताकि न वें उपर इमानवालों के तंगी बीच बीवियों से लेपालों उनके के जच अदा करलें उनके हाजित और है अज्ञा खुदा की लीगई t ीं है। ऊपर नधी के कुछ तंगी वीच उस वस्तु के ॥ नहीं है मुहम्मद या प किसी म f t ! और हलाल की बी ईमानघाली जो देखे बिना मिलर के जान अपनी याते नबी के ॥ ढील देवे तू जिस को से देखे व अपनी ा यार्थ चाहे उन् में और जगहूं क्षिप्त । नहीं पाप ऊपर तेरे ॥ ऐ लोगों !जो ईमान लाये हो सठ प्रवेश को घरों में पैगम्बर के ॥ सं० ५। खि ० २२ । जू° ३३ ' भ० ३३। ३७ 1 ३ ८ 1 १० 1 २७, ४८ 1 ५३!!