पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/६०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

चतुर्दशयमुलायः ॥ ६०५ 'y cen A १३२फिराया जावेगा उसके ऊपर पियाला शराब शुद्ध का !॥ सपैद मज़ा देनेवाली वास्ते पीने वालों के ॥ समीप उनके बैठी होंगो नीचे आन रखने वालियां सुन्दर आखों वालियां ॥ मानों कि ये अण्डे . छिपाये हुये ॥ क्या बस हम नहीं मरेंगे । और अवश्य स्युत निश्चय पैग़म्बरों से यथ। ॥ जब कि मुक्ति दी हमने उनको और छोग उसके को सबको ॥ परन्तु एक बुढ़िया पीछे रहनेवालों में है ॥ फिर सारा इसने औरों को 1 स० ६ । खि० २३ । सू० ३७ 1 आ० ४३ । ४४ । ४६ । ४७ ।५६ से १२६ में १२७ से १२८ । १२९ ॥ समीक्षकोंजी यहां तो मुसलमान लोग शराब को बुरा बतलाते हैं परन्तु इनके स्वर्ग में तो नदियां की नदिया बहती हैं ? इतना अच्छा है कि यह तो किसी प्रकार मद्य पसीना छुड़ाया परन्तु यहा के बदले वह उनके स्वरों में बड़ी खराबी है मारे नियों के वहां किसी का चित्र स्थिर नहीं रहता होगा ! और बडे २ रोग भी हते होंगे ! यदि शरीराले होते हों तो अवश्य रंग आर जी शराले न तो भोग विलास ही न कर सकेंगे । फिर उनका स्वर्ग में जाना व्यर्थ है ॥ यदि लत को पैगम्बर मानते हो तो जो बाइबल में लिखा है कि उससे उसकी छक्षियों ने समागम करके दो तडके पैदा किये इस बात को भी मानते हो वा न६ीं १ जो मानते हो तो ऐसे को पैगम्बर मानना व्यर्थ है और जो पेवे र ऐवों के सब्जियों को खुद मु।क्त देता है तो वह खुदा भी वैसा ही है, क्योंकि बुढ़िया की कहानी कहने वाता और पक्षपात से दूसरों को मारनेवाला खुदा कभी नहीं हो सकता ऐसा खुदा मुख जस। ही के घर में रह सकता है अन्यत्र नहीं ॥ १३२ । के . . - 3 १३३--बहिश्ते हैं सदा रहने की खुले हुए हैं दर उनके वास्ते उनके ॥ तकिये किये हुए बीच उनके मंगावेंगे बीच इसके मेवे और पीने की वस्तु ॥ और समीप होंगी उनके नीचे रखनेवतिया दृष्टि और दूसरों से समायु ॥ बख सिजदा किया फरिश्तों ने सब ने परन्तु शैतान ने न माना अभिमान किया और था का- फिरों से ॥ में शैतान किस वस्तु ने रोका तु को यहूं कि खिजदा करे वास्ते उर वस्तु के कि बनाया मैंने साथ दोनों हाथ अपने के क्या अभिमान किया तूने व था बड़े अधिकार वालों से है ॥ कहा कि मैं अच्छा हूं उद्य वस्तु से उत्पन्न किय। तूने मुफ को । राग से उसको सट्टी से ॥ कहा बस निकल इन आखमानों में से बच निश्चय त चलाया गया है ॥ निश्चय झपर तेरे लानत है मेरी दिन जजा व ने कहा ये सालिक |