पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/६०९

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६० ७ चतुर्दशमुल्लाः ॥ किए। है वा बांका : यदि खुदा ने बहकाया तो वह शैतान का शैतान ठहरा अपख वह यदि शैतान स्वयं बहका तो अन्य जीव भी स्वयं बहनेंगे शैतानकी ज़रूरत नहीं । और जिससे इस शैतान बाग़ी को खुदा ने खुला छोड़ दिया इसे विदित हुआ कि वइ भी शैतान का शरीक अधर्म करने में हुआ यदि स्वयं चोरी करके दण्ड देवे dr उसके अन्याय का कुछ भी पारावार नहीं ॥ १३३ ॥ १३४-अल्लाह क्षमा करता है पाप खारे निश्चय वह है क्षमा करने वाला दयाछ ॥ लपट हुए और थिवी सारी मूठी में है उसकी दिन कयामत के और आसमान हैं बीच दहने हाथ उठव के ॥ और चमक जावेगी पृथिवी साथ प्रकाश मालिक अपने के और रक्खे जायेंगे कर्नपत्र और लाया जावेगा पैग़म्बरों को और गवाहों को और खल किया जावेगा ॥ २ ६ । ०ि २४ । सू० ३है । आ० ५४ । ६८। ७० ॥ समीक्षक-यदि खमन पापों को खुदा क्षमा करता है तो जानो सब खंखार को पापी। बनाता है और दयाहीन है यtT एक 5 दुष्ट पर दया और ा करने से वह अधिक दुष्टता करेगा और अन्य बहुत ख़ नरम को दुःख पहूं चावगा यदि किचित् भी अपराध क्षमा किया जावे तो अपराध ही अपराध जगत् में छा जावे । क्के या परमेश्वर अग्निव काशवाला है १ और कर्नपत्र कहां जमा रहते हैं ? और कौन लिखता है? यदि पैगम्बरों और गवाहों के भरोसे खुश न्याय करता है तो वह अखर्वज्ञ और अख मर्थ है, यदि वह अन्याय नहीं करता न्याय ही करता है तो क र्मों के अनुपार करता होगा वे कर्म पूर्वापर व मान जन्मों के हो सकते हैं तो फिर क्षमा करना, दिलों पर ताता लगाना और शिक्षा न करना, तान बवाना, दौरा ई रख ना केवल अन्याय ई I १३४ है। १३५-उतारना किताब का अल्लाह शाति व जाननेवाले की ओर से है ॥ क्षम करनेवाला पापों का और स्वीकार करनेवाला तोबा: का ॥ मं० ६ । खि० २४ । सू० ४० मा० १ । २ ॥ 1 जोक्षक-यह बात इसलिये है कि भले लोग अाद के नाम से इस पुस्तक को मान लेवें कि जिसमें थोड़ासा सत्य छोड़ अस्स्य भरा है और वह सत्य भी असत्य के साथ मिलकर विगड़ासा ६ इसीलिये कुरान अरि कुरान का खुद र इड को माननेवाले पाप बढने हारे और पप करने करनेवाले हैं ॥ क्याँf पाप फr