पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/६१७

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से ६ १५ युसुदेखढाई॥ कमपत्र बांच के न्याय करना भला थ६ व्यवहार सर्वेक्ष का हो सकता है कदापि नहीं । यह सब लीला लड़कपन की है ॥ १४५ ॥ १४६-चढ़ते हैं फरिश्ते और रूह तर्फ उसकी वह आज़ाब होगा वीच उच विनके कि है परिमाण उसका पचास हजार वर्ष । जब कि निकलेंगे करों में से दो- वे हुए मानो कि वह बुतों के स्थानों की ओर दौड़ते हैं ॥ मं० ७ 1 ०ि २६। ० ७० । अा g । ४२ । में समक्षक--याद पचास हजार वष ाव ा पारण ता पाख ६जार वर्ष की इतना कभी रात्रि क्यों नहीं ’यादि उतनी बड़ी रात्रि नहीं है तो बड़ा दिन नहीं हो व कप्ता क्या पचास हज़ार वॉतक खुदा फ़रिश्ते और कर्मपत्रवाले खड वा बैठे अथवा जागते ही रहेंगे यदि ऐखा है तो सब रोगो होकर पुन: मर ही जायेंगे ॥ क्या कबरों ये निकल कर खुदा की कचहरी की ओर दौड़ेंगे ' उनके पास सम्मन कचरों में क्यों कर पहुचग 1 और उन विचारों को जो कि पुण्यामा वा पापात्मा ६ इतने समय तक अभी को कबरों में दौरेसुपुर्द कैद कया रक्खा है और आजकल खुद की कचहरी। पन्द होगी और खुदा तथा फरिश्ते निकम्मे बैठे होंगे १ अथवा क्या काम करते होंगे ? अपने २ स्थानों में बैठे इधर उधर घूमतेसोते, नाच तमाशा घखतेवा ऐश आराम करते होंगे ऐसा उधर किसी के राज्य म न होगा ऐसी २ बातों को सिवाय जंगलियों के दूसरा कौन मानेगा ॥ १९६ ॥ हैं - १४७-निश्चय उत्पन्न किया तुम को कई प्रकार से ॥ क्या नहीं देखा तमने ' | से उत्पन्न किया अहद ने सात आसानों को ऊपर तले ॥ छोरdकिया चांद ने

| नाच उसके प्रकाशक औरकिया सूर्य को दीपक ॥ सं० ७ ५ दि से ० २६ । सू० ७१।

है अा ० १४ । १५ । १६ ! नागें । समीक्षक---यदि जी को खुदा ने उत्पन्न किया है तो वे निस्य अमर क5भी नहीं वह रई सकते १ फिर बहिश्त में सदा क्योंकर रइ सकेंगे ? जो उत्पन्न होता है वबट्ट

  • । अवश्य नष्ट हो जाता है । आसमान को ऊपर तले कैसे बना सकता है ? क्योंकि वह

निराकार और विभु पदार्थ है, यदि दूसरी चीज का नाम आकाश रहे हैं तो भी इस का आकाश नाम रखना व्यर्थ है यदि ऊपरतल आपसों को बनाया ३, वो उन चय के बीच में चांद सूबे कभी नहीं रइ सकते जो बीच में रखा जाय तो एक ऊपर मौर । जाk /