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मुंशी प्रेमचन्द
दुखी चमार द्वार पर झाडू लगा रहा था और उसकी पत्नी झुरिया, घर को गोबर से लीप रही थी। दोनों अपने-अपने काम से फ़ुर्सत पा चुके, तो चमारिन ने कहा - 'तो जाके पंडित बाबा से कह आओ न। ऐसा न हो कहीं चले जायें।'
सद्गति/मुंशी प्रेमचन्द3