पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/११२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

शक्तिशाली स्वतंत्र देश होता और जापानी सामाज्यवाद की धमकियां उसके लिए उपेक्षा की वस्तु होती। यह सोचकर खेद होता है कि कांग्रेस ने लगातार कारखानों के मजदूरों की उपेक्षा की है जिनसे वे उससे विमुख हो गये हैं । अाजकल गंगठित अमिक संघों में कांग्रेस के प्रति उपेक्षा ही नहीं अपितु स्पष्ट दुर्भावना पाई जाती है । परिणामतः कांग्रेस अाज इस अवस्था में नहीं है कि अपनी सहायता के लिए मजदूरों का राजनीतिक हड़ताले करा सके । देश में मजदूरों को शक्तिशाली हड़ताले हुई हैं। परन्तु वे अधिकतर आर्थिक प्रकार को ही हुई हैं । श्रमिकों का आर्थिक अान्दोलन अभी राजनैतिक नहीं बन पाया है। यही कारण है कि राजनैतिक दृष्टि से श्रमिकवर्ग अभी इतना हल्का और शक्तिहीन है। यह मैं अपनी दृष्टि से वर्तमान स्थिति का दिग्दर्शन करा रहा है । मैं क्रान्तिकारी शक्ति के रूप में श्रमिकों के महत्व को कम नहीं समझता और न मै इससे इंकार करता हूँ कि यदि ठीक ढंग से काम लिया जाय तो व सहज ही एक महान् राजनैतिक शक्ति बन सकतं हैं और राष्ट्रीय आन्दोलन पर अपना नेतृत्व स्थापित कर सकते हैं । भारत की वर्तमान परिस्थितियों में यह केवल इसी तरह हो सकता है कि श्रमिक लोग कांग्रेस द्वारा संचालित सामाज्यवाद-विरोधी संघर्षा में भाग लें। रूस के विपरीत भारत में हड़तालों का श्रमिक अस्त्र अभी तक व्यापक कार्यवाही का संकेतक नहीं रहा है परन्तु श्रमिकवर्ग अपना राजनैतिक प्रभाव तभी बढ़ा सकता है जब वह राष्ट्रीय संघर्षा के लिए हड़ताले करके निम्नमध्यवर्ग को उनके क्रान्तिकारी स्वरूप से प्रभावित कर सके ! कांग्रेस पर कोई कितने ही आक्षेप और लांछन लगाये यह मानना पड़ेगा कि वह सामाज्यवाद-विरोधी संघर्ष का एक मात्र विशाल स्थल है वहीं से किसी ऐसे संघर्ष को संचालित किया