पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/११८

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संस्था बनानी होगी। चें कि समाजवादी पार्टी का कोई स्वतंत्र राजनीतिक अस्तित्व नहीं है चूँ कि वह अनेक वगा से बनी हुई राष्ट्रीय सस्था कांग्रेस का एक अंग मात्र है अतः उससे अपने कथित ध्येय की प्राप्ति की प्राशा नहीं की जा सकती। यह युक्ति स्पष्टतः उन परिस्थितियों की अवहेलना करती है जिनमें कांग्रेस समाजवादी पार्टी का जन्म हुआ था और साथ ही यह देश की सामान्य राजनैतिक स्थिति पर भी ध्यान नहीं देती। जिन कारणों से पार्टी कांग्रेस के भीतर है उन्हें हूँढ़ने के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा । पार्टी राष्ट्रीय संघर्ष के बीच में कुछ ऐसे कांग्रेसियों के कारण बनी है जो संसार की समाजवादी विचारधारा के प्रभाव में आ गये थे । उन्होंने देखा कि पश्चिम में जनतंत्र के ऊपर सकट श्रा पड़ा है और प्रतिनिध्यात्मक सस्थायें सब ओर नट भूट ही रही हैं। उन्होंने यह भी देखा कि फासिज्म की विभीषिका बढ़ती जा रही है पूँजीबाद पतनोन्मुख है और अपनी अन्तिम सामाज्यवादी अवस्था में प्रवेश कर चुका है । उन्होंने स्पष्ट अनुभव किया कि संसार को अब फासिज्म और समाजवाद में से एक को चुनना है और पूँजीवादी जनतंत्र का कोई भविष्य नहीं है । उन्होंने संसार को एक विकट आर्थिक संकट में ग्रस्त पाया जो अन्तहीन प्रतीत होता था। उन्होंने देखा कि रूस ही एक ऐसा देश है जिसने समाजवाद की ओर ठोस प्रगति की है और सब ओर छाए हुए नैराश्य के अन्धकार में गरीबों पीड़ितों और दलितों के लिए वही श्राशा का प्रतीक है। उससे उन्हें प्रेरणा मिलती है क्योंकि मानव-समुदाय के लिए उसने एक नवीन युग प्रारम्भ किया है ; यह सब देखकर और अन्य देशों की क्रान्तियों के इतिहास को पढ़कर उन कांग्रेसियों ने यह निष्कर्ष निकाला कि पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए कांग्रेस के कार्यक्रम में