पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१२

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प्राचार्य नरेन्द्रदेव (लेखक-यूसुफ मेहरअली) प्राचार्य नरेन्द्र देव भारतीय समाजवादियों के दद्दा है। युवकों की पार्टी में वही एक वृढ़े बड़े हैं । अाज वे ५७ वर्ष के हो चुके । अनेक वर्षों से विद्रता और राजनीति के दोनों क्षेत्रों में वे अग्रणी रहे हैं । ऐसा समन्वय कम देखने को मिलता है। अमहयोग अान्दोलन के जोशीले दिनों में उन्होंने अपने प्रासाद-सम घर के मुखों और चलनी हुई वकालत को लात मार दी और सक्रिय राजनीति में वे पिल पड़े। उस आन्दोलन के पीछे राष्ट्रीय शिक्षा का अान्दोलन भी जोर पकडना गया । जव मन् १९२१ में काशी विद्या - पीठ की बनारस में स्थापना हुई तो नरेन्द्र देव जी को उसमें अध्ययन के लिए श्रामन्त्रित किया गया । पॉग वर्ष के पश्चान सन् १६२६ मे, वे विद्यापीट के अध्यन्न वने । उस समय से लेकर अब तक लगभग चौथाई शताब्दी से, उग महान संस्था से उनका सक्रिय सम्बन्ध चला श्रा रहा है। वे जितने प्रनिद्ध विद्वान है, उतना साहित्य उन्होंने नहीं मुजा हैं । जीवन में उनके सामने विशुद्ध पठन-पाठन और राजनीति में से एक को चुन लेने का प्रश्न याया और उन्होंने राजनीति को चुना। इगसे भारत के ऐतिहासिक अनुसन्धान को कितनी क्षति पहुँची, यह बहुत थोड़े व्यकि जानते हैं। नरेन्द्र देव जी के पिता बाबू