पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१२०

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प्राप्त करने में सफलता प्रान की है। कालान्तर में हम सम्भवतः उम नियम मे परिवर्तन कर सकेंगे जिसके अनुसार पार्टी की सदस्यता कांग्रेसियों तक ही सीमित है। यह भी सम्भव है कि समय आने पर सभी समाजवादी दलों को मिलाकर एक पार्टी बनादा जाय । परन्तु उस दिन के अाने तक हमको अपने पृथक संगठनों से ही सन्तुष्ट रहना चाहिये और साथ ही जिन बातों पर हम महमन ही उनमें परस्पर सहयोग करने का प्रयत्न करना चाहिये। मुझे पता लगा है कि सम्भवतः कांग्रेस के साथ सम्बन्ध होने के कारण हमारे समाजवाद को नकली बताया जाता है और हमारे सहसा समाजवादी बन जाने पर आश्चर्य प्रकट किया जाता है जिससे हमारी वास्तविकता पर मन्देह होने लगे । इसकी पुष्टि में यह और कहा जाता है कि जिन पर इतने दिनों तक गांधीवाद का जादू रहा उनसे समाजवाद को अंगीकार कर लेने की अाशा नहीं की जा सकती यह कथन श्रमिकवर्ग पर अधिक लागू हो सकता है जिनमें अपने श्राप तो केवल ट्रेडयूनियन चनना उत्पन्न हो सकता है । हमें यह न भूलना चाहिये कि समाजवादी विचार-धारा श्रमिक अान्दोलन से पृथक स्वतंत्र रूप से प्रस्फुटित हुई थी। उसकी उत्पत्ति क्रांतिकारी समाजवादी मस्तिष्क के विकास का स्वाभाविक और अनिवार्य परिणाम था। मुझे विदित हुआ है कि अतिवामपक्षियों ने सामाज्यवाद-विरोधी संघर्ष का एक न्यूनतम कार्यक्रम बनाया है और वे उसे अपनी संयुक्त मोर्चाबन्दी की कार्यवाहियों का आधार बनाना चाहते हैं। वह कार्ग. क्रम नख-दन्त-विहीन है और सामाज्यवाद-विरोधी संघर्ष में सफलता प्राप्त करने के लिए अत्यन्त अपर्याप्त है। उसमें जनसमुदाय को देशी शोषकों के विरुद्ध संगठित करने का कोई जिक्र नहीं है । कृषकों और मजदूरों की जो आर्थिक मांगें उसमें रखी गई हैं वे बहुत ही मामूली