पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१४१

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( ११४ ) ही है जिसने मान बढ़ाया है और संसार की दृष्टि में हमे ऊँचा चढ़ाया है । श्रीमन में प्रार्थना करता हूँ कि अाप इम इस तथ्य को अपने सामने रखें और यह भी सोचे कि जिस विधान की कार्यान्वित करने के लिये हमसे कहा जाता है वह व्यापक विरोध के होते हुए भी हम पर लादा गया है श्रार हम शीघ्रातिशीघ्र उसका अन्त करके उसके स्थान पर भारत की स्वतन्त्रता के ऊपर आधारित विधान लाना चाहते हैं । अतः मै अापसे अनुरोध करता है कि आप नवीन परम्परा को जन्म दें और हमें एक ऐसे नए मार्ग पर चलावें जिम पर हमारी जैी परिस्थितियों में फँसे हुए व्यक्ति आगे भी चल सके। परन्तु यह मैं पूरी तरह स्पष्ट कर दें कि मैं यह नहीं चाहता कि आप अपने पद और प्रभाव का उपयोग अपनी पार्टी के राजनैतिक लाभ के लिए करें । नहीं प्रत्येक व्यक्ति और राजनैतिक दल को इस सभा में अपने विचार व्यक्त करने की पूरी स्वतन्त्रता होनी चाहिए. मै नो श्रीमा कंबल यह मोचता हूं कि वह बड़ा ही दुःस्वद होगा यदि श्राप जिस राजनैतिक पार्टी के सदस्य हैं उससे पृथक होने का निर्णय कर लें और जब तक इस पद पर अामान रहें तब तक के लिए राजनैतिक नेता न रहे । मैने अापके सामने पार्टी की प्रबल अान्तरिक कामना रख दी है और मुझे इसमें कोई सन्देह नहीं है कि आप इस मामले में सब बातों पर गौर करके अपने लिए कोई सबसे अच्छा मार्ग निकाल लेंगे। मुझे अधिक कहने की आवश्यकता नहीं है। एक बार और अापकी अनुमति में मैं आपके प्रति सम्मान प्रदर्शित करता हुआ आपके इस उच्च पद पर आसीन होने के लिए आपको हार्दिक बधाइयाँ देना है।