पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१५

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राजी हुए । विद्यार्थियों ने घोड़ों को गाड़ी में से खोल दिया और स्वयं गाड़ी खींचने पर तुल गए। अन्त में उस महान् नेता ने उन्हे अपने जोश को किसी अच्छे उद्देश्य के लिए सुरक्षित रखने की सलाह दी । इन सब विद्यार्थी प्रदर्शनों में नरेन्द्रदेव जी प्रमुख पात्रों में से एक थे। इलाहाबाद का म्यूर कालेज-छात्रावास जहां नरेन्द्रदेव जी रहते थे राजनीतिक उद्विग्नता से परिपूर्ण था । विद्यार्थी लोग अपनी पाठ्य- पुस्तकों में आधी रात तक सर स्वपाने के स्थान पर देश के राज- नैतिक भविष्य के ऊपर लभ्ये चौड़े वादविवाद किया करते थे । गरमदल वालो को निकाल देने से कांग्रेस की लोकप्रियता काफी कम हो गई थी और तरुण और क्रियाशील तत्व उससे दूर हो गये थे । सन् १६०८ में राजद्रोह के अपराध मे तिलक को फिर है साल के कारावास का दण्ड मिला और उन्हें बर्मा की मांडले जेल में ले जाया गया। अरविन्द घोष को भी लम्बे न्याय-विचार के लिए बंदी रखा गया। राष्ट्रीय पार्टी के वक्ता जिनमें लाला लाजपतराय, विपिनचद्र पाल और देहली के एक गरमागरम कवि और व्याख्याता सैयद हैदररजा थे, देश के प्रमुख शहरों में धूम मचाते फिरे और जहां कहीं वे गये, उन्होंने युवकों को अपने पक्ष में कर लिया । इसी समय लाला हरदयाल जो यूरोप में श्यामजीकृष्ण वर्मा के प्रभाव में आगये थे, इङ्गलैंड से अपनी पढ़ाई छोड़ कर भारत लौट आये । उन्होंने राजनीति में भाग लेने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए एक पाठ्यक्रम तैयार किया। उममे रमेशचद्रदत्त और दादाभाई नौरोजी की पुस्तकें, भारतीय इतिहास, विदेश-विषयक पुस्तकें और विशेषतः मंजिनी का साहित्य था। इसका नरेन्द्रदेव जी पर काफी प्रभात्र हुश्रा।