पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१५५

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आजादी की लड़ाई [३] सकट-काल के पाठ (१९३८) हमारे दिविन्दु से न नो हाल का वैधानिक सङ्कट नवांछनीय था और न उसका टल जाना । उनसे हमारे विचारों की तो पुष्टि होती है। हमने प्रारम्भ से ही कहा है कि यदि कांग्रेस इस विधान को क्रांतिकारी ढा से अपनी शक्ति बढ़ाने के काम में लाना चाहे यदि वह सुधारवादी संस्थाओं के समान कार्य करना हेय समझे, ना इस प्रकार सङ्कट और टक्करें अवश्याम्भावी हैं और हमन सदैव इस बात पर जोर दिया है किनी स्थिति में हमारी मफलना हमारी मगठन शक्ति की अोर हमारे द्वारा जगाई हुई जन-चेतना पर निमी करेगी। इस सङ्कट में उन लोगों की अग्नि कुल जाना चाहिये जो पार्लियामेस्टीय हलचलों के लम्बे समय का स्वप्न देख रहे थे। हमारे पास अब इस बात के पर्याप्त प्रमाण है कि ब्रिटिश मरकार कॉम-मन्त्रिमण्डलों को स्वतन्त्रता से कार्य करने देना नहीं चाहती। ब्रिटिश सरकार ने अनुभव कर लिया है कि कांग्रेस से ममझौता कर लेने से उसकी कठिनाइयां कम नहीं होती। १२८