पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१६२

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आजादी की लड़ाई [x] कांग्रेस का विधान [कांग्रेस की बढ़ती हुई शक्ति के साथ उसमें अच्छे पद प्राप्त करने की कशमकश स्वभावतः बढ़ गई है। उसमें गुटबन्दी अधिक सक्रिय हो गई है और खींचातानी का जोर बढ़ गया है। संस्था को भ्रष्ट और अवांछनीय सदस्यता से बचाने के लिए कांग्रेस से त्रिपुरी अधिवेशन में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को यह अधिकार दिया गया कि वह सदस्यता चुनाव इत्यादि सम्बन्धी सब मामलों में खराबियों को दूर करने के लिए विधान मे परिवर्तन के माथ साथ अन्य अावश्यक कदम उठाइये। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए बनाई गई कमेटी के सदस्य कांग्रेम के प्रधान और महामन्त्री के अतिरिक्त पंडित जवाहरलाल नेहरू, प्राचार्य नरेन्द्रदेव और डाक्टर पट्टाभि सीतारमैया थे । कमेटी की बैठक बम्बई में ३ से ७ जून १६३६ तक हुई और उसने अपना कार्य समाप्त कर दिया । उसने कांग्रेस के विधान को संशोधित और परिवर्धित करने के अनेक सुझाव रखे जिनमें से कुछ तो उन उद्देश्यों से भी आगे बढ़ गये जिनकी पूर्ति के लिए कमेटी बनाई गई थी। इनमे से कुछेक सुझावों के कारण यह भय था कि राजनैतिक अल्पमतों को कांग्रेस से हट जाना पड़ेगा। परिवर्तन के अन्य सुझावों में एक यह भी था कि कांग्रेस कार्यसमिति को १३५