पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१६३

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दक्षिण आफ्रिका का सत्याग्रह आविष्कार किया कि यदि नवीन भारतीयों को ट्रान्सवाल में आने से रोकना है तो हरएक पुराने भारतीय को दर्ज करने की कोई ऐसी तरकीब निकाली जाय जिससे एक के बदले दूसरा प्रवेश पा न सके और अगर आ भी जाय तो फौरन् पकडा जाय । अंगरेजी सत्ता की स्थापना के बाद जो परवाने निकाले गये थे उनमें भारतीयों के दस्तखत या अंगूठे की निशानी लो जाती थी। बाद किसीने सूचित किया कि ठीक तो यह होगा कि हरएक भारतीय की तस्वीर ही खींच ली जाय । इसलिए यों ही दस्तखत, अंगूठे की निशानी और तस्बीरें खिचना भी शुरू हो गया। इसके लिए किसी कानून की आवश्यकता तो थी ही नहीं, नहीं तो नेताओं को फौरन् खबर न हो जाती? धीरे धीरे इन नवीन योजनाओं के समाचार फैले । कौम के तरफ से सत्ताधिकारियों के पास पत्र गये। डेप्यूटेशन भी पहुंचे। अधिकारियों की तो यही दलील थी कि हम इस बात को तो बरदाश्त नहीं कर सकते कि चाहे जो आदमी जिसतरह चाहे, यहां घुस आवे । इसलिए तमाम भारतीयों के पास यहां रहने के परवाने एक ही किस्म के होना चाहिए और उनमें इतनी बातें लिखी होना चाहिए कि उसके आधार पर केवल उनका मालिक ही यहां आने पावे अन्य कोई नहीं। मैने सलाह दी कि यह कानून तो यहां नहीं कि जिस के बल पर ये हमें ऐसे परवाने रखने के लिए बाध्य कर सकते हों, तथापि जहांतक सुलह को संरक्षित रखने का कानून मौजूद है तबतक तो वे हमसे परवाने जरूर मांग सकते हैं। भारत के “ डिफेन्स ऑफ इण्डिया' ऐक्ट-भारत रक्षा विधान के ही जैसा काम दक्षिण आफ्रिका में सुलह-रक्षा के लिए भी बनाया गया था। और जिस प्रकार भारत में वह भारत-रक्षा-विधान बहुत ज्यादह समय तक केवल 11