पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१८८

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सिद्धान्नों का चारों ओर प्रचार किया जा रहा है । सम्प्रदायवाद बढ़ता जा रहा है । प्रगति और स्वतन्त्रता की शक्तियों को कुचलने के लिए प्रतिक्रियावादी शक्तियाँ ब्रिटिश सामाज्यवाद से गटवन्धन करके एक शनिशाली गुट बनाने का प्रयास कर रही हैं । वे कांग्रेम और राष्ट्रीय नेतृत्व को अपना निशाना बना रही है । यह कल्पना करना मूर्खता है कि वे केवल वर्तमान हाईकमाण्ड के विद्ध हैं और नवीन नेतृत्व के आने पर प्रसन्नता से कांग्रेस में गम्मिलित हो जायेंगी । इन तथ्यों के कारण हमारा बह विशेष कन्व्य हो जाता है कि हम कांग्रेस को कमजोर नथवा विघटित करने वाला कोई भी कार्य न होने दे । वर्तमान समय में हमसे उच्च काम निठा की भावना की आशा की जाती है। संघर्ष का गतिविज्ञान जो भारी बल कामरेड राय नेतृत्व परिवर्तन के अपर देते हैं, उसे समझना सरल है । परन्तु वे इस तथ्य की अवहेलना करते प्रतीत होते है कि संघर्ष नेतृत्व परिवर्तन का भारी साधन है । सघर्ष का दबाब उन शक्तियों को उन्मुक्त करता है जो नेतृत्व को चलाती और रूपान्तरित करती हैं । संघर्ष के बीच में नए नेतृत्व की सृष्टि हो जाती है। जनसंघर्ष की हिलोरों में सदैव नवीन जननायक ऊपर उछल श्राते हैं । केवल नेतृत्व के गुणों का परिचय देकर, और जनसमुदाय को विजय पर विजय दिलाकर जनता का विश्वास और राष्ट्रीय नेतृत्व में स्थान प्राप्त किया जा सकता है । संघर्ष में वृद्धि के स्वर्णिम अवसर मिलते हैं। संघर्ष का नवीन तरीका भी, सीमित क्षेत्र में ही मही, प्रयोग में लाया जा सकता है। और यदि वह उपयोगी सिद्ध हो, पुरानी