और कांग्रेस के सिद्धान्तों को ताक पर रखकर ब्रिटिश मामाज्यवाद में समझौता करना चाहते हैं । यह मंघर्ष की वटाई में डालने की एक ही तरकीब है । जब कि देश में कांग्रेस कार्यसमिति को प्रकट घोषणात्रों पर भी विश्वास न करने के लिये कहा जाता हो तब हम लोगों से संघर्ष की श्रावश्यक तैयारियों पर गम्भीरतापूर्वक ध्यान देने की अाशा नहीं कर सकते । कार्यममिति के सदस्यों की काई भी बात मी नहीं है जिसके आधार पर हम यह कह सके कि वे अविश्वमनीय व्यक्ति हैं । एमा प्रचार अपने पैरों में अाप कुल्हाडी मार लेता है। दो आवाजें यह श्री. सुभाषचन्द्रबोस के विरुद्ध हमारा अभियोग है। हम विश्वास करते थे कि व कांग्रेस की अखएइता को तोड़ने का प्रयत्न नहीं करेगे । युद्ध छिड़ने के समय उन्होंने एकता के लिए जो भावपूर्ण अपील की थी वह अभी तक हमारे कानों में गूंज रही है । पूर्वकाल में उन्होंने वर्तमान नेतृत्व का ती विरोध किया था परन्तु स्वयं कांग्रेस के विरुद्ध कभी कोई कार्य नहीं किया । तब से उनम महान परिवर्तन हो गया है । अब व कांग्रे म के टुकड़े करने पर तुले हुए प्रतीत होते हैं। व वर्तमान कांग्रेस का केवल दक्षिणपक्षियों की सस्था में परिणत कर देना चाहते हैं और वामपक्षियों से कहते हैं कि कांग्रेस को छोड़कर एक नवीन वामपक्षी कांग्रेस बनाने में उनकी सहायता करे ऐसा प्रतीत होता है कि स्वतत्रता की राह में उन्होंने एक भयानक पगडएडी पकड़ी है। श्री. सुभाषचन्द्र बोस मदैव इस प्रकार के समझौते के विरुद्ध