पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२१३

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( १८६ ) सहायता करते हैं । इन कार्यवाहियों की खुला और नियमित रूप दे देने से वस्तुस्थिति का मूल रूप नहीं बदला है। रूस और जापान अब भी एक दूसरे से नहीं लड़ रहे हैं। चीन का युद्ध विदेशी आक्रान्ता के विरुद्ध जनता का युद्ध है परन्तु इगलैंड और अमरीका के साथ हुई उसकी हाल की मैत्री से, सम्पूर्ण युद्ध का स्वरूप नहीं बदल जावेगा । यदि ऐसा होता, तो वर्तमान युद्ध को किसी भी समय सामाज्यवादी समझा जाना चाहिये था | एक असली जनता की लड़ाई का परिणाम पूँजीवादी जन- तन्त्र और फासिज्म दोनों के साम्राज्यवाद का ध्वस होना चाहिये। परन्तु यह कहने का साहस शायद ही कोई करे कि वर्तमान युद्ध सामाज्यवाद को नष्ट करने के लिए लड़ा जा रहा है । उसका अर्थ यह होगा कि ब्रिटिश और अमरीकी सरकारे अपने आपको मिटा देने के लिए युद्ध कर रही हैं । पिछले युद्ध के समय सामाजिक जनतन्त्रियों (social demi. crate) ने इसी प्रकार का तर्क देकर कहा था कि युद्ध के स्वरूप में एक राष्ट्रीय तत्व भी विद्यमान है जैसा कि आस्ट्रिया के विरुद्ध सर्विया के युद्ध से स्पट लक्षित होता है। लेनिन ने उनके बारजाल को उधेड़ कर दिखा दिया और उन्हें निम्न उत्तर दिया- केवल सर्विया में और वह भी भूमिजीवियों में हमें स्वाधीनता के लिए राष्ट्रीय आन्दोलन दिखाई देता है जो दीर्घकाल से चल रहा है, जिसके पीछे लाखों राष्ट्रवादी जन हैं, और सर्विया आस्ट्रिया के बीच का युद्ध जिसका चलते रहना-मात्र है । यदि यह युद्ध बिल्कुल पृथक होता, अर्थात् यदि इसका विस्तृत यूरोपीय युद्ध और इंगलैंड, रूस इत्यादि के स्वार्थमय और लुटेरेपन के उद्देश्यों से कोई सम्बन्ध न होता, तो सभी समाजवादी सर्विया के बुजुश्रा जनों