पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२१४

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( १८७ ) की सफलता की कामना करते | वर्तमाम युद्ध में राष्ट्रीय तत्व से यही एकमात्र सही अोर अनुपेक्षणीय निष्कर्ष निकाला जा सकता है | विस्तृत यूरोपीय युद्ध में सर्विया श्रास्ट्रिया युद्ध के राष्ट्रीय तत्व का न कोई अर्थ है और न हो सकता है । यह कहा जा सकता है कि हमारा यह कर्तव्य है कि हम प्रत्येक बात को सोवियत रूस के हितों की दृष्टि से सोचें । रूस इस समय हिटलर के विरुद्ध आत्मरक्षा के लिए लड़ते हुए मित्रराष्ट्रों की ओर है अतः विश्व के अभिक-वर्ग का यह कर्तव्य है कि वह मित्रराष्ट्रीय सरकारों का साथ दे । परन्तु किसी भी प्रश्न पर केवल एक दृष्टिविन्दु से विचार करना गलत होगा, चाहे वह दृष्टिविन्दु कितना ही महत्वपूर्ण क्यों न हो। मार्क्सवादी तर्क पद्धति हमें वस्तुस्थिति को उसके सम्पूर्ण और उलझे हुए स्वरूप समझने की शिक्षा देती हैं । यह बिलकुल असत्य प्रचार है कि वर्तमान युद्ध किसी भी ओर से स्वतंत्रता और लोकतन्त्र के लिए हो रहा है। संतृप्त शक्तियां अपना वैनव ज्यों का त्यों बनाये रखना चाहती हैं और अपने पूजीवादी वर्ग-हितों पर अाँच नहीं आने देना चाहतीं। क्या हम अपनी आंखों के सम्मुख नहीं देख रहे कि नागरिक अधिकार कम किये जा रहे हैं, जता को करों के भार से दवाया जा रहा है, और उससे धनिक वर्ग के लिए अपना बलि- दान करने का अनुरोध किया जा रहा है । क्या यह भी सच नहीं है कि भारत, मिश्र, और अफ्रीको उपनिवेश अभी तक गुलामी में जकड़े हुए हैं ? यह भी कहा जाता है कि न्याय, स्वतन्त्रा और समानता पर अाधारित नवीन विश्व-व्यवस्था इस युद्ध का सीधा परिणाम होगी। यह अाशा इस झूठे विश्वास के कारण लगाई जाती है कि युद्ध