पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२३३

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( २०६ ) चाहिए । यदि हम जनता के प्रतिनिधि होने का दावा करते हैं और उसके अार्थिक धरातल को ऊँचा उठाना चाहते हैं तो हमें निकट भविष्य में कम से कम इतना कर लेने का ध्येय अपने सामने रखना चाहिए। यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक योजनात्मक अर्थ व्यवस्था जनसमुदाय के लिए हितकारी ही हो । प्रश्न यह है कि उस अर्थव्यवस्था की योजना किसके द्वारा और किसके लाभ के लिए की जा रही है । हम कोई भी योजना बनाएं घरेलू उद्योग धन्धों के लिए उसमें पर्याप्त स्थान अवश्य होगा। जो भी सरकार राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने का दावा करे, उसे यह कार्य अपने ऊपर लेना चाहिये। यह एक सरल सी कसौटी है । जो सरकार इस कसौटी पर खरी न उतरे, उसे राष्ट्रीय सरकार होने का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है।