पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

वह खेतों जनतन्त्र के लिए संघर्ष करने में भारत अकेला नहीं होगा। वर्तमान मनय में उसे एशिया में एक बड़ा कार्य-भाग सम्पादित करना है । परन्तु यह तभी सम्भव हो सकेगा जब हम अपनी जिम्मेदारी समझेगे और समय समय पर पाने वाले सुन्दर अवसरों को हाथ से न जाने देंगे। अगस्त-प्रस्ताव हमारे लिए दिशा-सूचक नक्षत्र के समान है। वह एक पूर्ण प्रस्ताव है क्योंकि वह न केवल हमारे स्वतन्त्रता प्राप्त करने के संकल्प को दुहराता है वरन स्वतन्त्रता का सामाजिक अर्थ भी बतलाता है । और कारखानों में काम करने वालों के हाथ में सम्पूर्ण राजनैतिक सत्ता सौंपना चाहता है । वह भारत की अपने अन्तर्राष्ट्रीय कर्नव्य मानने में तत्परता को भी व्यक्त करता है । हमें केवल यह देखना है कि वह प्रस्ताव खते में न पटका जाकर कार्यरूप में परिणत किया जाय। हमें अाशा करनी चाहिए कि हममें ऐमा विवेक और साहस, ऐसी बुद्धिमत्ता और नीतिज्ञता होगी कि हम अपनी नीतियां इस प्रकार निर्धारित कर सकेंगे जिससे सम्पूर्ण एशिया स्वाधीनता प्रान करने में समर्थ हो सकेगा और पूर्व में पूर्ण प्रजातन्त्र की सच्ची नींव पड़ सकेगी। यह वह ठोस उद्देश्य है जिसके लिए हमें लड़ना है, और यदि हमारे भीतर लगन है तो हम अवश्य सफल होंगे।