पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२४७

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पर शासन नहीं कर सकती । विश्व युद्ध के परिणाम स्वरूप शक्तियों का पलड़ा पलट गया है । भारत और ब्रिटेन का झगड़ा अव एक अन्तर्राष्ट्रीय मामला माना जाता है | भारतीय समस्या अब सामाज्य की घरेलू समस्या नहीं रही है बल्कि विश्व की समस्या होगई है। राष्ट्रीय अात्मसम्मान की एक नवीन भावना के विकास के परिणामस्वरूप भारतीय स्थल और जल सना मे उठती हुई ब्रिटिश-विरोधी भावना की लहर-जिम के कारण वह अविश्व- सनीय होगई है और अन्य महक्मों मे- यहां तक पुलिस में भी जो साधारणतः राष्ट्रीय भावना से कोसों दूर रहती हैं-वदनी हुई अनुशासनहीनता; इनके कारण ब्रिटिश सरकार के लिए यह श्रावश्यक हो गया है कि वह भारतीय प्रश्न का एक नए प्राधार पर निपटारा करे । सम्पूर्ण एशिया मे अाग सुलग रही है और ब्रिटिश साम्राज्यवाद अन्तिम सासें ले रहा है । यदि एक समझदार ब्रिटेन बाला ठण्डे दिमाग से वर्तमान स्थिति पर विचार करे तो वह इस निष्कर्ष पर पहुंचेगा कि उसे सामान्य के गट्टर को उतार फेंकना चाहिये । परन्तु मनुष्य विचार से अधिक भाव के अनुसार चलते हैं, और स्वार्थ उनकी बुद्धि को मलिन कर देता है । ब्रिटिश लोग बहुत ही सतर्कता से और धीरे धीरे चलने वाले हैं। व समझौते की कला में पारगत हैं, और कुछ हद तक चलकर वे तब तक आगे नहीं बढ़ने, जब तक वे ऐसा करने के लिए वाव्य न हो जायें । गतकाल में उन्हें इतनी अधिक वार सफलता मिली है, कि वे यह समझने लगे हैं कि वे फिर लीपापोती करके संकट को टाल देंगे। उनके लिए दकियानूसी दिशा से भिन्न दिशा अपनाना कठिन है, और वे थोथी रीतियों और परम्पराओं से चिपटे हुये हैं भारत के मामले में ब्रिटेन ने लगातार बायदे तोड़े हैं, और इसलिए भारतीय मष्तिष्क में ब्रिटिश सरकार के इरादों