पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२४८

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के प्रति तीव्र अविश्वास उत्पन्न हो गया है । हम यह नहीं भूल सकते कि भारत में उसकी नाति एक टुकड़े फेकने और दमन करने की रही है। आज भी ये अफवाहे चल रही हैं कि सरकार उस भारतीय संघर्ष को कुचलने की तैयारियां करने में लगी हुई है जिस के छिड़ने का, कैविनेट मिशन के ग्वाली हाथ लौटने पर, उसे डर है । मैं इन अफवाहों को कई महत्व नहीं देता। मैने इस तथ्य का जिक्र केवल यह दिखाने के लिए किया है कि लोगों को ब्रिटिश इरादों में विश्वास नहीं है । व यह कहने है कि यदि ब्रिटिश सरकार सचमुच ही भारतीय मांग की नि करने के लिये उत्सुक होती तो वह अपने प्रस्तावों के स्वागत के लिए अनुकूल वातावरण उत्पन्न करने के उश्य से श्राम क्षमा दान की घोषणा कर देती। यह भी बताया जाता है कि जैसे ही यूरोपीय युद्ध समाप्त हुया नैस ही इलेड में राष्ट्रीय सरकार ने मानले के गिरोह को तुरन्त छोड़ दिया । उसने मुदूरपूर्व के युद्ध के अन्न की भी प्रतीक्षा नहीं की। परन्तु भारत में जनता के प्रिय नंता और अनन्य देशभक्त अभी तक जेल में हैं यद्यपि युद्ध को पूर्ण रूप से समाप्त हुये नौ महीने बीत चुके हैं और युद्ध के अन्ल की द्योतक जो ऋत्रिम तिथि निश्चित की गई थी वह भी प्रथम अल को वात चुकी है । यह हालत तब है जब इङ्गलैण्ड में इस समय मजदूर सरकार का शासन है । कम से कम भारन-रकार अपने ही नजरबन्दों को तो छोड़ सकती थी। वे संख्या में केवल दो हैं-श्री जय प्रकाशनारायण और श्री राममनोहर लोहिया जो भारत माता के शूरवीर सपूत है और जिनको सवका सम्मान और प्रेम प्राप्त है । परन्तु सरकार काश्वत् सहृदयताशून्य और प्रतिक्रियावादी है । भारतीय और ब्रिटिश जनता के बीच मेलामिलार होने में एक बड़ी बाधा ब्रिटश फौलादी चौखटा है।