पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/३७

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रास्ता तय करना है। अभी तो उसमें आन्तरिक झगड़े ही बहुत हैं । अवसरवादी नेताओं ने श्रमिकों को बहकाया है और उनकी पंक्तियों में फूट डाल दी है। उनके पास अच्छे क्रान्तिकारी नेतृत्त्व का अभाव है, और उनका संगठन अपूर्ण है। यही कारण है कि श्रमिक वर्ग की हड़ताले प्रायः असफल रही हैं । परन्तु संगठन को दृढ़ बनाने के प्रयत्न किये आ रहें हैं । बुनकरों की माँगों की पूर्ति कराने के लिए उनकी श्राम हड़ताल की घोषणा की गई है । यदि संगठन के प्रयत्न सफन हुए और यदि ठीक प्रकार का नेतृत्व मिला, तो शीघ्र ही श्रमिकों का श्रान्दोलन एक बहुत ही शक्तिशाली आन्दोलन बन जायगा । कांग्रेस का कर्तव्य कांगस देश की सबसे बड़ी राजनैतिक संस्था है। उसको जनता का विश्वास और प्रेम प्राप्त है और उसके पीछे जन-मेवा का एक लम्बा इतिहास और कीर्ति है। निश्चय ही, हमारी यह साख बहुत है, परन्तु यदि हम केवल वैधानिक सुधारवादी बन गये अपया यदि हमने अपनी जड़ता से आये हुए अत्रमगे को खो दिया, नो हम इस साख के अयोग्य ही सिद्ध होंगे। नई परिस्थितियाँ नया कार्य भार लिए हुए पाती है। हमारा राष्ट्रीय संघर्ष अधिकाधिक दलितों और पीड़ितों का संचय बनता जा रहा है, ओर इस तथ्य को मानकर ही हम भविष्य के लि, ठीक नीतियों निर्धारित कर सकेंगे। जिस प्रकार श्रमिक वर्ग का आर्थिक आन्दोलन स्वतः ही राज- नैतिक बनता जा रहा है, उसी प्रकार कांग्रेस का राजनैतिक संघर्ष अन जाने ही जनता का प्रार्षिक संघर्ष होता जा रहा है । श्रमिकों का श्रार्थिक आन्दोलन राजनैतिक इसलिए बन जाता है क्योंकि वे देखते हैं कि साम्राज्य- वादी सरकार पूँजीपतियों का साथ देती है । इसी प्रकार राजनैतिक संघर्ष के नेताओं को अधिकाधिक अनुभव होता जा रहा है कि उच्चश्रेणी के