पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/३८

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तोग, राष्ट्रीय आन्दोलन के विरुद्ध ब्रिटिश साम्राज्यवाद से गठबन्धन कर रहे हैं और इसलिए उनको परिस्थिति मे विवश होकर श्रमिका और कृषको की सहानुभूति प्राप्त करने का उपक्रम करना पड़ रहा है । ऐसी अवस्था में यह श्रावश्यक है कि हम अपने दष्टिकोण और नीति में उपयुक्त परिवर्तन करें। आवश्यक शक्तियों का संघटन श्रमिकों के आन्दोलन को कांग्रेस के आन्दोलन से जोड़कर कृषको और निम्नमय-वर्ग के आन्दोलन के साथ समन्वित करना चाहिये । जब चे सब मिलकर एक महान् प्रयास करेंगे, तभी विजय होगी । देश की राजनैतिक स्वाधीनता के लिए जितनी शक्तियाँ कार्य कर रही हैं उन सबका संघटन करना आवश्यक है, और यह नभी सम्भव है जब उन सबके एक मे श्रादर्श हो। कांग्रेस के आन्दोलन ने श्रमिकों को बहुत कम स्पर्श किया है । हमने प्रायः उ है अपने से दूर रखखा है, और भारतीय पूंजीपतियों के विरुद्ध उनके संघर्ष में कोई दिलचस्पी नहीं ली है। यही कारण है कि बम्बई के बुनकरों की विशाल हड़ताल जी श्राज की सरपे अधिक उल्लेखनीय घट- नाओं में से एक है, एक औसत दर्जे के कांग्रेसी की कल्पनाशक्ति को नहीं स्पर्श करती और न वह उसमें कोई कियात्मक सहानुभूति जाग्रत करती है। ऐसा प्रतीत होता है, मानो उसका उससे कोई सम्बन्ध नहीं । केवल सामा- जिक न्याय के आधार पर ही वे श्रमिक कांग्रेस की सहायता और सहानु- भक्ति के पात्र हैं। प्रतिदिन बड़ी संख्या में वे बेकारी के शिकार हाते जा रहे हैं, उनकी मजदूरी घटाई जा रही है, और उनका जीवन-रतर निम्न होता जा रहा है । कम से कम हड़ताल के दिनों में उनके निर्वाह के लि! हम धन-संग्रह तो कर सकते थे। परन्तु नहीं, हम इन बातों को सोचते