पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/४८

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होता कि वे हिटलर को अपने उद्देश्यों का साधन बना सकेंगे। यही कारण है कि हिटलर की नीति घोर प्रतिक्रियात्मक रही है । आथिक क्षेत्र में उसको नीति आर्थिक राष्ट्रवाद के रूप में प्रकट हुई है। परन्तु यह नीति अर्मनी के उपयुक्त नहीं है क्योंकि अमनी मुख्यतः एक निर्यात करने वाला राष्ट्र है। इस नीति के कारण उसका जीवन-स्तर निश्चय ही नीचे गिर आयगा और अन्त में उसके पल्ले टूटे सपने ही पड़ेंगे। समाजवाद को कुचलने के लिए जर्मनी का निम्नम यवर्ग पूँजीपतियों मे मिल गया है । निम्नम यवर्ग बहुधा उच्चमध्यवर्ग का अनुगामी होता है और उसकी प्रमुख अभिलापा श्रमिको से अपने को पृथक रखने की होती है। जर्मनी में छोटे उत्पादनकर्ता और सौदागर बड़े उद्योगपतियों और ध्यापारियों की प्रतिद्वन्द्विता के कारण नष्टप्रायः हो चुके थे, परन्तु श्रमिक वर्ग के साथ समान आधार पर मिल जाना फिर भी उन्होंने अपमानजनक समझा। पूंजीपतियों और श्रमिको की शक्तिशाली संस्थाएँ थी, जो राष्ट्रीय रंगमंच पर प्रमुख बनी हुई थी, परन्तु निम्नम यवर्ग असंगठित होने के कारण दवा और पिछड़ा हुआ था । देखना यह है कि पूंजीपतियो और निम्नम यवर्ग का यह गठबन्धन कितने दिन चलता है । बेकारी को कम करने के लिए केवल अस्थायी और अपूर्ण उपाय काम में लाये गये है। फासिज्म का अन्तिम परिणाम क्या होगा --यह कहना कठिन है । हाँ, यह अवश्य स्पष्ट प्रतीत होता है कि मासम्म पूँजीवाद-जन्य विषमताओं के कारणों को दूर करने का प्रयास न करके केवल उन विषमताओं को दबा देने का प्रयत्न कर रहा है । अन्तिम परिणाम इस बात पर निर्भर करेगा कि पूंजीवादी ढाँचे के अन्तर में काम करने वाली विघटनकारी शक्तियों को बम में कर सकने को क्षमता फासिस्ट राष्ट्र में है या नहीं।