है, परन्तु श्रागै चनकर वे अपना स्वतन्त्र अस्तित्व बना लेते है और इतिहास की प्रगति पर प्रभाव डालते है। मार्स ने सदैव यह कहा है कि प्रारम्भ मे कार्य रूप होने वाली वस्तु मे भी स्वतन्त्र कारण बन जाने की क्षमता हेती है । अतः यह कहना भ्रान्तिपूर्ण है कि मार्स ने ऐतिहासिक विकास का केवल एक कारण माना है। पूर्णतावादी अलोचना आदर्श समाजवाद के प्रभाव के कारण लोग यह भी समझ लगे है कि समाजवाद से तत्पर्य जोवन के सभा क्षेत्रों में श्रादर्श अवस्यानो का होना है। जब रूस की वर्तमान स्थिति इम का.पनिक आदर्श के समकक्ष नहीं बैठती, तो वे चिल्लाते है कि समाजवादी प्रयोग सफल नहीं हो रहा है । परन्तु वैज्ञानिक समाजवाद के प्रवर्तकी ने अपने सिद्धान्त के लिये ऐसे कोई दावे नहीं किये थे। उन्होंने ती केगल इतना कहा था कि जब समाज- यादी क्रान्ति सफन हो जाती है तभी इतिहास में सर्वप्रथम मनुष्य अपने पशु-जीवन से निकलकर मनुष्य के समान कार्य करने लगता है। वे भली प्रकार जानते थे कि मानव-प्रकृति को एक दिन में नहीं बदला जा सकता। परन्तु यह निस्सन्देह है कि समाजवाद के उदय होते ही मनुष्य एक नवीन जीवन में प्रवेश करता है। वह देवता तो समाजवादी राज्य में भी नहीं बन सकेगा; परन्तु यह रवश्य है कि उसका चरित्र बहुत ऊँचा उठ जाजगा क्योंकि आज की स्वार्थपूर्ण और अर्थलोलुप व्यवस्था का कुप्रभाव वहाँ नहीं होगा। आर्थिक समानता लोग यह भी कहते है कि में समाजवाद नहीं है क्योकि वहाँ समानता नहीं है । परन्तु किसी भी समाजवादी ने यह कभी नहीं कहा कि समाजवादी राज्य में सब मनाग सब प्रकार मे समान हो जागगे । सम्पत्ति