पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/५५

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नवीन विचार-पद्धति की प्रजातन्त्रवादी समझदारी का आधार मिला है। कांग्रेस के बाहर समर्थको में श्रमिकों के प्रतिनिधि है, और कुछ-कुछ कृषक लोग है, जो साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष के वास्तविक क्रान्तिकारी तत्त्व होते हैं । यथार्थ मे, मजदूर वर्ग क्रान्ति का अग्रिम दस्ता है और कृषक और बौद्धिक वर्ग उसके सहायक मात्र । कांग्रेस में हममें से बहुत से तो अभी फेवन विचार गे ही समाजवादी है, परन्तु दीर्घकाल में राष्ट्रीय संघर्ष मे मम्बन्ध रखने के कारण हम जनता के निकट सम्पर्क में आते रहे है, और हमारे वेवल कितावी सिद्वान्तवादी बन जाने का कोई डर नहा है । हग कृपको और मजदूर्ग को अपने साथ मिलाकर अपने आन्दोलन का मामाजिक विस्तार करना चाहिये । मुझ प्राशा है कि हम केवल पढ़े-लिखों को समाज- षादी विचारधारा के रहस्य मममा कर ही सन्तुष्ट न रहेंगे । इसमे मेरा तात्पर्य ममाजवादी अध्ययन शास्त्रायें बनाने, और भारतीय भाषाओं में समाजवादी साहित्य स्वजन करने के महत्त्व को कम करना नहीं है । वह बहुत अच्छा कार्य है और अत्यन्न आवश्यक भी है। परन्तु हम यह न भूलना चाहिये कि हमारे सामने मुख्य कार्य है जनता को राजनैतिक शिक्षा देना, उसमें प्रतिदिन आर्थिक प्रचार की हलचल पैदा करते रहना, उममे राजनैतिक चेतना पैदा करके उगे संगठित करना । केवल जनता में कार्य करने में ही हम अपने श्रापको प्रतिक्रियावादी प्रभाव से मुक्त रख मकेंगे, और एक जनतावादी दृष्टिकोण विकसित कर सकेंगे । जन-ममुदाय को पीछे पटक देने की एक बड़ी मल हम बौद्धिक लोग प्रायः कर बैठते है। हम मदेव उन्हें कुछ मिधाने को तो तत्पर रहते है, परन्तु उनमे कुछ सीखने के लि. कभी प्रस्तुत नहीं रहते । यह रक्या गलत है । हमे उन्हें सामने का प्रयत्न करना चाहिए और उनकी आकांक्षाओ और श्रावश्यकताओं का सञ्चा प्रतिनिधित्व करना चाहिये । अलेक्ज राडर हरजिन ने सच कहा है कि मनष्यों पर वही प्रभाव डाल मकता है जो उनके स्वप्नो को उनसे भी अधिक