पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/७३

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1 स्नाभ का कार्यकलाप जारी रखा । जो नई लहर चारों ओर फैली हुई थी और जो अगाध विश्वास जनता का उन्हे प्राप्त था, नके कारण उनका कार्य अधिक सरल बन जाता, यदि वे अपना काम वैज्ञानिक ढंग से करती । परन्तु उन्हें विशेष सफलता न मिली, क्योकि इन हितकारी कार्यवाहियों के लिए उनके पास साधन बहुत सीमित थे। प्रश्नी परिमिति को जान लेना बुद्धिमानी की पहली निशानी है, और काँग्रेसी सरकारें यदि केवल चुने हुए और भली भाँति पूर्वयोजित कार्य ही अपने हाथों में लें, तो अच्छा होगा । सबसे बड़ी आवश्यकता कृषको को ज्ञान का प्रकाश देने की है। इसलिये शिक्षा-कार्य को ग्राम-सुधार की योजनाओं में प्रथम स्थान दिया जाना चाहिये । जनसमुदाय में शिक्षाप्रसार उन्नति का मूलमन्त्र ग्रामीणों को सहकारिता की आवश्यकता भी सिखाई जानी चाहिये। यदि उनमें सहकारी भावना भर दी जाय, तो वे सड़क की मरम्मत कर सकते है, पानी की व्यवस्था और सफाई में मुधार कर सकते है, संक्रामक संगो के विरुद्ध बचाव के उपाय कर सकते है, और शान्ति और मुख्यवस्था रख सकते है । परन्तु इसके लिए ग्राम समुदायों को ग्रामों में शासनाधिकार दिये जाने चाहिएँ, और उनके पुराने कर्त्तव्यो में से कुछेक पुनर्जीवित किया जाना चाहिये। ग्रान्तीय स्वायत्त शासन में कृपक-कानून विभिन्न सरकारी द्वारा दारिद्र कृषको को सहारा चहुंचाने के लिए किये गये उपायों के इस संक्षिप्त विवरण मे यह पता चल जायगा कि ये उयाय स्थिति को तात्कालिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए सदैव पर्याप्त न रहे । वर्तमान ऐक्ट के भीतर बहुत अधिक किया जाना सम्भव है, और सम्भवतः कालान्तर में बहुत कुछ किया जायगा । परन्तु यह खेदजनक है कि सब प्रकार के देहाती सुधारो मे विना किसी विशेष कारण के देर