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पूँजीवाद मेंं गरीबों की हानि

पैजाबाद में गरीयों की हानि १३ प्राध्य लेने को विश होते हैं और जब काम करते समय दुर्घटना के शिकार होते हैं नो म्यूनिसिपल श्रन्पनालों में सार्वजनिक पत्र पर इलाज कराने को भेज दिए जाते हैं। रंगलगड में जेलों का संचालन भी म्यूनिमिपलिटिर्या करती है। उनके माय पुलिस, अदालतों चार न्यायाधीगों का शन्यन्न पचीला गरयार भी जुना राता है। ये मस्यायें जिन अपराधों का प्रतिकार यहाँ कानी हैं उनका एक यदा भाग गरायालोरी के कारण पैदा होता है। और शराय का व्यापार अत्यन्त लाभकारी है। शराब का व्यवसायी लोगों को शगय पिलाकर उनके पास जो कुछ होता है यह तो उनसे छीन लेता है चार नगे में ग़र्क होने पर उन गांवकर महक पर इलया देता है। फिर गगयी चार जो गगरन करें, अपराध पर, खुद को और अपने कुटुम्ब को रोगी यनायें, कंगाल हो जायें; इन सयका वर्च कग्दाना को उद्याना पड़ता है। यदि इन सबका पर्च शराब के नुनाफे में से बनूल किया जाय तो यह इतना होगा कि शराय के व्यवसायियों का मारा मुनाफा ही मम हो जायगा, किन्तु यह मय करदाताओं के ही मिर मढ़ा जाना है। ___जहाँ म्यूनिमिपैनटियां बिजली की रोशनी का प्रबन्ध करनी हैं, वहीं टन बिजली के कारणाने स्यापिन करने के लिए कर्ज भी लेना होता है और माथ ही यापिस देना भी शुरू करना होता है नाकि वह एक वाम अवधि के मीन गिल बुक जार । निजी कम्पनियों को यह नहीं करना होता; चिन्नु फिर भी म्यूनिमिलिटियों की दी हुई बिजली सली पड़नी है । म्यूनिसिपलिटियों इसमें मुनाफा कमाती हैं और उसका उपयोग न्यूनिसिपल करों को कम करने में करती। अर्थात् जो दूकानदार वारा लोग बिजली की रोशनी के लिए अधिक पैसा देते हैं वे उन लोगों के करों का हिस्सा देते हैं जो बिजली का उपयोग नहीं करते, या कम करने है। बिजली की रोशनी के लिए अधिक पैसा गरीब ही देते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी दुकानों में मामक रोशनी करनी होती है। इस नरह से हमको राज्य करों की तरह ने ही म्यूनिसिपल करों में