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पूंजी और श्रम का संघर्ष

पूंजी और श्रम का संघर्ष मजदूरी के लिए "पने कारपानी के दरवाजे बन्द कर देने हैं। यद्यपि गलनी से लोग इनको भी पताले ही काते हैं; विनु इन्हें तालायन्दी कहना ठीक होगा। न्यायमायिक तेजी में तालें और व्यावसायिक मन्दी से नालेचन्दियां होती है शोर प्रायः दोनों ही सफल हो जाती हैं। यूरोपीय महायुद्ध के याद यूगेप के रागनों में भयंकर तेजी और मन्दी के फारए पाहतालें और नालबन्दियां हुई जिन से सभी लोगों को यह मालूम हो गया कि हदनाले शार तालपन्दियां किसी भी देश के लिए हिनकर नहीं हैं। एक व्यवस्थित समाज में उनका कोई उपयोग नही हो माना। हटनालों को सफल बनाने के लिए यह पावन्यक था कि व्यवसायो में काम करने वाले सभी शादी व्यावसायिक संघों में शामिल हों। कारण, व्यवसायों के मालिक दताल नोदने के लिए बाहरी मजदरों से हदनाल करने वालों का काम करा मरने थे। जो मजदर प्यवसाय-संघा के मदन्य न बनकर प्रेम यमरी पर व्यवसायों में काम करने को राजी हो जाने ये बाधी मजदूर-द्रोही धादि नामों में सम्बोधित किए जाते और मृणा की रष्टि से देगे जाने । फारमानों के दरवाजों पर मजदूरों के ये मजदूर-द्रोहियों को भीतर जाने से रोकने के लिए नियुक्त किए जाने थे। यदि टनकी रमा के लिए यहां काफी पुलिस का प्रबन्ध न रिया जाना नो वे अपनी रमा न कर सकते थे। इंगलैण्ड के मैन्वेलर अादि गहगे के कारणों में तो अन्न में मजदूर-द्रोहियों का अन्त करने के लिए यम ना रखे जाते थे, जो काम करने समय फट जाते थे और मजदूर-द्रोहियों के टुकडे-टुफ उठा देने थे। यंत्रों और काम के माधनोंको काम करने वालों के लिए तरनाक बना दिया जाता था और कारस्तानी की चिमनियों को विस्फोटक पदार्थों के लेपन में चूर-चूर कर दिया जाता था। इन कन्यों को यन्द्र करने के लिए सरकार ने अपराधियों को दद देने के अतिरिक्त व्यवसायों के मालिकों को इस बात के लिए विवश किया कि मजदूरों को उत्तेजना न दें। उसने उन्हें लकदी चीरने के कारखानों में