उत्पत्ति के साधनों का राष्ट्रीयकरण उद्योग के बारे में सारी बातें मालूम हो चुकी है, अतः उसका राष्ट्रीयकरण श्रावश्यक हो गया है, किन्तु वायुयान-उद्योग भी प्रयोगावस्था में है, अतः जबतक रेल-उद्योग की भांति वह सुस्थापित नहीं हो जाता, उसे राज्य-सहायता-प्राप्त निजी उद्योग माना जा सकता है। ___ इंग्लैण्ड में पूंजीपतियों की सम्पत्ति का काफ़ी मात्रा में अपहरण हुधा है। जब पार्लमएट में भूस्वामियों, पूंजीपतियों और कारखानेदारों का बहुमत था, उस समय श्रमजीवी-वर्गों पर अधिक-से-अधिक करों का बोझा डालने की कोशिश की जाती थी और पूंजीपतियों इंग्लैण्ड का से कर उसी समय वसूल किया जाता था, जब प्राय का उदाहरण और कोई ज़रिया नहीं रह जाता था। उस समय श्रायकर जो केवल पूँजीपतियों को ही देना पड़ता है, प्रति पौड छः पेन्स से घटा कर दो पेन्स कर दिया गया था। किन्तु जब पार्लमण्ट में मजदूर दल का ज़ोर बढ़ा तो उसने यह कोशिश की कि पूंजीपतियों से श्रमजीवियों की अपेक्षा अधिक कर वसूल किये जायें। अब स्थिति यह है कि श्रायकर, अतिरिक्त आयकर, मृत्युकर श्रादि करों द्वारा प्रति वर्प करोड़ों रुपया पंजीपतियों से छीन लिया जाता है। नज़ा यह है कि जो ब्रिटिश अनुदार सरकार साम्यवाद की निन्दा करती है, सम्पत्ति के समाजवादी अपहरण को उकैती घोषित करती है, वही सबसे अधिक उसका अनुसरण करती है। इससे बचने के लिए बेचारे इंग्लैण्ड के पुतीपति वर्ष में सात महीने दक्षिणी फ्रांस में जाकर रहने लगे है। यद्यपि बड़े-बूढों के मतानुसार धनिकों से जो प्रति वर्ष रकम ली जाती है, वह विस्मयोत्पादक है, किन्तु धनिक जितना दे सकते हैं या सरकार जितना खर्च कर सकती है उससे अधिक नहीं है। इसका नतीजा यह हुथा है कि क्रयशक्ति धनिकों से गरीबों के हाथों में चली गई है और बहुत से पुराने धनो निर्धन हो गये हैं। किन्तु साथ ही पूँजीवाट का इतना विकास हुआ है कि पहले की अपेक्षा धनिकों की संख्या बढ़ गई है और धनी अधिक धनी हो गये हैं, फलतः विलास की चीज़ों के व्यवसायों का विस्तार हुआ है और अमिकों को अधिक काम मिला है।
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