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समाजवाद : पूँजीवाद

१७८ समाजवाद : पूंजीवाद विद्यमान है जो साम्यवादी प्रजातंत्र को फ्रांस और अमेरिका जैसे पूंजीवादी प्रजातन्त्र में बदल दे सकती है। यद्यपि रूसी राज्य-क्रांति के फलस्वरूप रूसी लोगों के स्वाभिमान में वृद्धि हुई है और रूसी सरकार का रुख पूंजीपति-विरोधी हो गया है, फिर भी वह उतना समाजवाद स्थापित नहीं कर सकी है जितना कि इंग्लैण्ड में मौजूद है । रूस में मजदूरियाँ भी इंग्लैण्ड से बहुत कम मिलती हैं। इसका कारण यह है कि जिस हद तक पूंजीवाद का विस्तार हो चुकता है, उसी हद तक समाजवाद का विस्तार हो सकता है। समाजवाद का विस्तार वर्तमान आर्थिक सभ्यता के विनाश पर नहीं, विकास पर निर्भर करता है। समाजवाद पूंजीवाद से उत्तराधिकार में मिली हुई सम्पत्ति को नष्ट नहीं करना चाहता, बल्कि उसकी नये ढंग से व्यवस्था करना चाहता है और चाहता है उससे पैदा होने वाली प्राय को नये ढंग से बाँटना । रूस में पूजीवाद का उस हद तक विकास नहीं हुआ था, वोल्शेविकों के पास इतने संगठित पूंजीवादी उद्योग नहीं थे, . कि जिनके आधार पर वे अपनी इमारत खडी करते । रूसी लोगों को ठेठ नींव से शुरूधात करनी पड़ी। ____ इसका यह अर्थ हुथा कि यदि पूंजीपति वैध परिवर्तन को स्वीकार न करें तो उनकी सत्ता को नष्ट करने के लिए राजनैतिक क्रान्ति आवश्यक हो सकती है। किन्तु न तो हिंसात्मक क्रान्ति से और न शान्तिपूर्ण परिवर्तन से स्वयंमेव समाजवाद की रचना हो सकती है। यही कारण है कि जो समाजवादी अपने लक्ष्य को समझते हैं, वे रक्त-पात के विरुद्ध हैं। वे दूसरे लोगों की अपेक्षा कुछ नरम नहीं है, किन्तु वे जानते हैं कि रक्तपात से उनकी उद्देश्य-सिद्धि नहीं हो सकती । इसीलिए वे क्रमिक विकास में विश्वास करते हैं। यह मानी हुई बात है कि हिंसात्मक क्रांति में धन-जन का भीषण संहार होता है और समाज में बढ़ा गोलमाल फैल जाता है । उसको ठीक करने के लिए अन्त में पुनः स्थायी शासन- च्यवस्था की शरण लेनी पड़ती है। क्रामवेल, नेपोलियन, मुसोलिनी, हिटलर और लेनिन-जैसे शक्तिशाली और दृढ़ शासक सामने आते हैं,