पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/१४७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१२८
सम्पत्ति-शास्त्र।


हो जायगा कि उनकी ज़मीन से जो कुछ फायदा आगे होगा उसका कुछ अंश उन्हें भी मिलेगा. तब तक वे जमीन का सुधार न करेंगे और जमीन जोतने या अनवाने में भी उत्साहन दिग्याचेंगे। इससे उन्होंने खंगाल में इस्तिमरारी बन्दोबस्त कर दिया। उन्होंने कानून बना दिया कि पैदावार का ९० फ्री सदी हिस्सा सरकार को देना होगा और बाकी की सदी ज़मींदार को मिलेगा। पर आगे कभी मालगुजारी की शाह न बढ़ाई जायगी। जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाकर प्रथया बंजर जमीन को जोतकर जमादार अपनी आमदनी चाहे जितनी बढ़ा : सरकार उस ब्रही हुई प्रामदनी का कुछ भी हिस्सा पाने का दावा न करेगी। १० फो सदी मालगुजारी लेना बटुन हुमा । पर लोनें ने इसे भी कबूल कर दिया । जब ज़मदारों को मालूम हो गया कि अब न हमारी जमीन हमस छिगेगी और न सरकार को तम अधिक माल- गुजारी हो देनी पड़गी, नब उन्होंने जमीन का सुधार शुम्भ फिया 1 फल या टुन्ना कि उनकी जमीन का लगाम भी बढ़ गया और परनी ज़मीन में भी ग्वेनी होने लगी। इसमें बंगाल के ऋषिजीवियों की दशा सुधर गई। इस समय हिन्दुम्नान के अन्यान्य प्रान्नों की अपेक्षा यहां के ज़मींदार पार काट्न- कार अधिक सुग्नी है। होइस स्निमगरी बन्दोबस्त के कारगर वहाँ के कारनकारी को जमादरों की नगा से कुछ नकलीफ जरूर मिलने लगी थी। पर सरकार ने उचित मानून बना कर इसे दूर कर दिया । अध जमादार लोग अपनी रिपाया को प्रन्याय व दमट नहीं कर सफन और न मनमाना लगान ही उनमे घनल कर सकते है। बंगाल और बिहार का यह इस्लिम- रार्ग बन्दोबस्न प्रजा के हक में बहुन अच्छा है।

पहले ईस्ट इंडिया कम्पनी का इरादा था कि बंगाल की तरका धन्दी- वस्त और प्रान्तों में भी किया जाय । पर पीछे से गवर्नमेंट की वह नीति वदल गई । उसने वैसा करने में अपना नुकसान समझा । उसने देखा कि ज़मीन की उपज दिन दिन बढ़ती जाती है। इससे उसकी बढ़ती के साथ साथ सरकारी मालगुजारी भी बढ़ना चाहिए। यह समझ पर कम्पनी के कारों और प्रान्तों में बंगाल का ऐसा बन्दोबस्त करने से इनकार कर दिया । उत्तरी हिन्दुस्तान में उन्होंने लगान के फ्री सदी ८३ हिस्से अपने लिए नियत किये । अर्थात् जिस जमीन का जितना लगान हो उसके १०० हिस्सों में सं ८३ हिस्से जमीन का लगान सरकार को दिया जाय और बाको