पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/१९४

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सातवाँ साग । देश की आर्थिक अवस्था की तुलना । पहला परिच्छेद । सर्व-साधारण बातें । yesyस सत्र आदमी एक से नहीं होते, बस होसब दैश भी एक से नहीं .. ६ ३ ३ हाने । किसी की आर्थिक अवस्था अच्छी होती है, किसी की । धुरी । किसी में किसी चीज़ की अधिकता होती है. किसी में * किसी चीज़ की कमी। मत्ति की उत्पत्ति के जो तीन साधन हैं वें सत्र की एक में नहीं पाये जाने । गले में पुँजी वृत्र है, मज़दूरों की भी कमी नहीं हैं, पर जमीन बटुन कम है। मगरिका में पूजी भी है। जमीन भी है, पर मजदूरी वडी महंगी है । हिन्दुस्तान को देखिए । यहां जमीन और मजदूरी दोनों की कमी नहीं. फ़मी है पूँजी की । इसी तरह हर एक देश की स्थिति हुदा जुदा होना है । इँ गन्दंड के पास भूमि कम है । पर पूजा हुन । र उधोग-धन्धे से लोगों की बहुत प्रेम है। इससे भूमि की कमी उरले बहुत कम हानि पहुंचाती है ।उसके कम होने पर भी गद्ध में अनन्त सम्पत्ति भरी हुई है। अमेरिका का भी यही हाल है। उद्योग-प्रियता और पूंजी के बद से, मज़दूरी मंहगी होने पर भी, वहां न्टमी का अखण्ड वास है। इससे सावित है कि पति की अधिक उन्पत्ति के लिए पूँजी चार उद्योग, ये दो बातें ही प्रधान हैं। जिस देश में पूजी है और इसे लगाकर लोग उद्योग-धन्धो करना जानते हैं वहाँ र साधनों की कमी होने पर भी सम्मत्ति का ह्रास नहीं होती । घर घराचर बढ़ती जाती है । किसी देश में क्रम, किसी में अधिक सम्पत्ति होने के और भौ क्रितभेदों कारण हो सकी है। कभी कभी ऐसा होता है कि उत्पन्न की गई सम्पत्ति * लीग चहुत ही बुरी तरह से ननं करते हैं । चे उसका अनुत्पादक उपया फरने हैं। इसमें पूँजी कम हो जाती है और मज़दूरी का फाफ़ी मज़दूरी नहीं मिलती। कभी कभी समाप्ति का वितरण ऐसे बुरे नियमों के अनु