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माल के मूल्य का विनिमय ।

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जितना माल कानपुर से सम्बई जाता है उतना ही यदि सम्बई से भी फरनपुर अस्यै, अर्थात् यदि दैनां शहर परस्पर एक दूसरे के बरावरी हे, सा दानां जगहे के ऋण का विनिमय बराबर होगा । विनिमय के इस समान भाव का नाम अँगरेज़ी में " प्रष्ट पार" ( At Pair) है। परन्तु यदि एक शहर का । दूसरे की अपेक्षा अधिक होगा, अर्थात् पूर्वोक्त उद्दारा में कानपुर से बम्बई भेजे गये माल की क़मत फी अपेक्षा बम्बई से कानपुर भेजे गये माल की क़ीमत यदि अधिक होगी, ते कानपुर के अधिक रुपया भेजना पड़ेगा । इस दशा में बम्बई से कानपुर के ऊपर की गई इंडिया की दर की अपेक्षा, कानपुर से बम्बई के ऊपर की गई मुंडियां की दर अधिक हो जायगी। जिन लोगों के कानपुर से बम्बई रुपया भेजना होगा उनमें प्रतियोगिता उत्पन्न हो जायगी-उनमें चढ़ा ऊपरी होने लगेगी । फल यह होगा कि बम्बई के ऊपर की हुंडियों का निर्ब बढ़ जायगा । अर्थात् वम्बई पर हुंडी ख़रीद करने से इंडी में लिखे हुए रुपये की अपेक्षा कुछ अधिक देना पड़ेगा । अतः एच कानपुर और चन्बई का पारस्परिक मूल्य-विनिमय सम्बई के अनुकूल मॅर कनपुर के प्रतिकूल होगा । मतलब यह कि कानपुर से जा लग रुपया भेजेंगे, अर्थात् वहां हुंडी खरीद करेंगे, उनके लिए मूल्य-विनिमय का निर्ख सुभीते का न होगा । विपरीत इसके बम्बईवालों के लिए सुभीता होगा। उन्हें कानपुर पर हुडी ख़रीद करने में कम ख़र्च पड़ेगा। इससे स्पष्ट है कि जब किसी शहर को हुंडियां, जिस पर वे लिखी गई हैं उसकी इंडिया की अपेक्षा चढ़े दाम विकें, तभी समझना चाहिए कि मूल्य-विनिमय उस शहर के प्रतिकूल है।

पूर्वक उदाहरण में बम्बई के महाजन और बैंकर सस्तै भाव से कानपुर रुपया भेजेंगे । अर्थात् सैकड़े पीछे बहुत धेड़ा-खर्च लेकर वे बम्बई के व्यापारियां के कानपुर पर हुंडी चेचेंगे । इस प्रकार जा रूपया बम्बई के महाजन लोग वहां के व्यापारियों से ले में उससे उस ब्रटण के चुकाने की चेष्टा की जाय और खम्बई के व्यापारियों का कानपुर के व्यापारियों पर होगा। किसी शहर पर जब हुडिये की अधिक माँग होती है तब मुंडी की दूर ज़रूर चढ़ जाती है । पर कितना ख़र्च डाक'थर रेल द्वारा नक़द रुपया भेजने में पढ़ता है. मुंडी का निस्त्र प्रायः उससे अधिक नहीं होता। फ्येक कम ज़र्च पड़ने हो के कारण लोग हुँडी खरीद करते हैं। यदि कानपुर से पाँच 38