पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/३६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

प्रत्यक्ष कर । ३४१ बहुत अधिक रुपया भ्राहकों के घर से यर्थ जायेगा । उधर गवर्नमेंट के वज्ञाने में कम रक़म पहुँचेगी । अतएव एडम स्मिथ के इस चैथे नियम के अनुसार को माल पर कर न लगा कर, बिकने के लिए माल तैयार हो जाने पर, कर, गाना राजा मार प्रज्ञा दोनों के लिए अच्न्न है। सम्पत्तिशाल-ताओं ने करों को दो बड़े विभागों में बाँटा है—एक - वास्तविक कर, दूसरे व्यक्तिगत कर । वास्तविक कर उन्हें कहते हैं जा व्यवहार को चीज़ों पर लगाये जाते हैं और जिनके लगाने या वसूल करने में इस बात का विचार नहीं किया जाता किं इन चीज़ों का मालिक कौन है, अथवा इन्हें व्यवहार में कौन लायेगा. अर्थवी करों का रुपयो अन्त में किसले वसूल किया जायगा । आयात ग्रार यात माल पर जा कर लगाया जाता है चह इसी तरह का है। व्यकिगत कर वे कहलाते हैं जो मनुष्य पर, उनकी अर्थिक अवस्था प्रार कारोवार आदि देख कर. लगाये जाने हैं । अर्थात् जिस पर करों को धोझ पड़ना चाहिए उसी से वे वसूल किये जाते हैं। उदाहरण के लिंग–अमदनी पर कर, जिसे "इन्कमटैक्स' कहने हैं। करों ॐ यह दो विभाग प्रत्यक्ष और पक्ष भी कहे जा सकते हैं । | किसी किसी ने करों को ग्रार ही तरह विभक्त किया है। उनके अनुसार कुछ कर मुख्य होते हैं, कुछ गौण । परन्तु इस धिप्य को हम एक परिमित मय्यादा के भीतर रखना है । अतएव केरों के मुख्य और गीण विभागों का विचार न करके सिर्फ प्रत्यक्ष और परोक्ष विभाग का ही विचार थोड़े में करेंगे। टूसरा परिच्छेद । प्रत्यक्ष कर । गवर्नमेंट की जव यह इच्छा होती है कि अमुक आदमी को खुद ही कर देना चाहिए, और उसो से जुत्र इह लिया भी जाता है, तब उस कर की प्रत्यक्ष संक्षा प्राप्त होती है। अर्थात् जिसे कर देना चाहिए वही जब देता है तब वह प्रत्यक्ष कर कहलाता हैं।