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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

और हम इस तरह जो आदर व्यक्त करते हैं उसकी साधारणतः सभी अंग्रेज महिलाएँ और पुरुष कद्र करते हैं। भारतके उच्च न्यायालयोंमें भी जिन वकीलोंने देशी पगड़ी पहनना नहीं त्यागा है, वे अकसर उसे पहने रहते हैं।

जहाँतक झुक कर नमस्कार करने या जिसे आप सलाम करना कहते हैं,उसका सवाल है मैने उस विषयमें भी बम्बई उच्च न्यायालयमें प्रचलित नियमका पालन किया था। यदि कोई वकील जजके अदालतमें आ जानेके बाद वहाँ प्रवेश करता है तो वह नमस्कार नहीं करता, लेकिन जब जज अदालतमें प्रवेश करता है तो सभी वकील खड़े हो जाते है और उसके बैठनेतक खड़े ही रहते हैं। तदनुसार जब कल माननीय जज महोदयने अदालतमें प्रवेश किया तो मैं खड़ा हो गया और उनके बैठ जानेपर ही बैठा ।

इस अनुच्छेदसे कुछ ऐसा लगता है कि निजी तौरपर मुझे अदालतमें न बैठ-नेके लिए कह देनेपर भी मैं फिर अपने स्थानपर चला गया था। सच तो यह हैबकि मुख्य र्लक मुझे दुभाषिएके कमरेमें ले गया था और मुझे बताया गया था कि जब मैं अगली बार आऊँ तब अपने परिचयपत्र दिखाये बिना अदालतकी मेजपर न बैठूं। इस विषयमें पूर्णतया आश्वस्त होने के लिए मैंने मुख्य क्लर्क से पूछा कि क्या मैं आजके दिनके लिए वहाँ बैठा रह सकता हूँ तो उन्होंने कृपापूर्वक कहा : 'हाँ।' तब अदालतमें सबके सामने जब फिरसे यह कहा गया कि इस स्थानपर बैठनेके लिए मुझे अपना परिचयपत्र आदि दिखाना पड़ेगा तो मुझे सचमुच आश्चर्य हुआ।

अन्तमें माननीय जज महोदयने जिसे मेरी अशिष्टता समझा वे यदि उससे नाराज हुए हों तो मैं क्षमा चाहता हूँ। मेरे इस व्यवहारका कारण मेरा अज्ञान था। उसके पीछे वैसा कोई इरादा न था ।

मुझे आशा है कि आप निष्पक्ष भावसे उपर्युक्त स्पष्टीकरणको अपने पत्रमें थोड़ा स्थान देकर मुझपर कृपा करेंगे : क्योंकि यदि उस अनुच्छेदका स्पष्टीकरण नहीं किया जाता है तो उससे मुझे हानि हो सकती है।

आपका,

मो०क० गांधी

[अंग्रेजीसे]

नेटाल एडवर्टाइजर, २९-५-१८९३