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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


ऊपरके तखमीनोंमें अखबारोंपर किये जानेवाले खर्चका कोई उल्लेख नहीं किया गया। समाचारपत्र तो हमारे लिए भोजनकी तरह आवश्यक बन गये हैं। इस समय लन्दनके प्रायः सभी भागोंमें निःशुल्क सार्वजनिक पुस्तकालय हैं। इन्हीं में प्रमुख दैनिक व साप्ताहिक समाचार प्राप्त हो जाते है । प्रतिदिन सैकड़ों लोग इन पुस्तकालयोंमें जाते हैं। इस तरह समाचारपत्र खरीदनेकी बजाय उसे पढ़ने पुस्तकालय चले जाना ज्यादा अच्छा रहता है। फिर भी यदि आवश्यक हो तो ६ पेंस प्रति सप्ताह समाचारपत्रपर खर्च करने की गुंजाइश काफी है। लन्दनके समाचारपत्र बहुत सस्ते हैं। सांध्य समाचारपत्र तो ½ पैनीमें खरीदा जा सकता है।


अध्याय ४
भावी बैरिस्टरों के लिए एक अध्याय

आप इंग्लैंड जाकर बैरिस्टर बनें या कोई दूसरी शिक्षा प्राप्त करने के लिए जायें, इसका सही निर्णय तो आप ही कर सकते है या वे लोग कर सकते हैं जो आपको अच्छी तरह जानते हैं। हर व्यक्तिकी स्थिति एक-सी नहीं होती है। मैं तो सिर्फ कुछ सामान्य बातें ही बता सकता हूँ।

आजकल बैरिस्टरोंकी विशेष मांग नहीं है। उनका पहले जितना आदर भी नहीं रहा। मुझे लगता है कि इस तथ्यके सम्बन्ध में कोई विवाद नहीं है। फिर भी यह सच है कि उन्हें जो दर्जा प्राप्त है उसे उनसे छीन लेना आसान नहीं है और यह भी सच है कि उनका कार्य-क्षेत्र बहुत अधिक व्यापक है। यह भी कह सकते है कि पर्याप्त धैर्य और घोर परिश्रम करनेवाले किसी भी बैरिस्टरको अपने स्वतंत्र व्यवसाय या नौकरी द्वारा सम्मानजनक आजीविका न कमा पानेका भय नहीं होना चाहिए।

फिर भी बैरिस्टर घाटे में क्यों है? इसके लिए कुछ हदतक वे स्वयं और कुछ हदतक दूसरे लोग दोषी हैं। ऐसा होनेके कुछ स्वाभाविक कारण भी है।

दोष उनका अपना इसलिए है कि वे लोगोंकी आशाएँ पूरी नहीं करते। लोगोंका दोष इसलिए है कि वे बैरिस्टरोंसे बहुत ज्यादाकी अपेक्षा करते है। स्वाभाविक कारण यह है कि उनकी संख्या बढ़ गई है। जब एक ही समाचारपत्र था तो सब उसे पसन्द करते थे। पर अब बहुत-से है, इसलिए कुछ-एक ही अच्छे माने जाते हैं। पहले मैट्रिक पास करनेवाला एक तरहसे बहुत बड़ा व्यक्ति माना जाता था। अब मैट्रिक पास सब जगह मिल जाते हैं तो उनका मूल्य भी नगण्य हो गया है। जिस जमाने में एक ही बैरिस्टर था तो वह एक अनोखा व्यक्ति था, अब जब अनेक बैरिस्टर है तो उनकी आपसमें तुलना की जा सकती है।

इसलिए दर्जेमें थोड़ा परिवर्तन होनेसे डरनेकी कोई बात नहीं है। सिर्फ हमें अपनी योग्यताका स्तर कम नहीं करना चाहिए। कभी ऐसा समय भी आ सकता है जब हम लोग काफी न हों और कामके लिए ज्यादा बैरिस्टरोंकी जरूरत पड़े।