पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 1.pdf/१९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
१५३
प्रार्थनापत्र : लोर्ड रिपनको


(३) ऐसी स्थितिमें, विधेयकके सम्बन्ध में ब्रिटिश सरकारके नाम एक प्रार्थनापत्र[१] तैयार किया जा रहा है।

(४) प्रार्थी वह प्रार्थनापत्र, जितनी जल्दी हो सकेगा, महानुभावके पास भेज देंगे।

(५) प्रार्थियोंका आदरपूर्वक निवेदन है कि महानुभाव ब्रिटिश सरकारको अपना इस विषय सम्बन्धी खरीता भेजना तबतक स्थगित रखें, जबतक कि उपर्युक्त प्रार्थनापत्र भी उसके पास भेजनेके लिए महानुभावकी सेवामें न पहुँच जाये? न्याय तथा दयाके इस कार्यके लिए प्रार्थी सदा दुआ करेंगे, आदि।

मो॰ क॰ गांधी
तथा सात अन्य

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स, सं॰ १७९, खण्ड १८९

 

४५. प्रार्थनापत्र : लॉर्ड रिपनको[२]

[डर्बन
१४ जुलाई, १८९४ से पूर्व][३]


सेवामें

महामहिम, परममाननीय मार्क्विस ऑफ रिपन

मुख्य उपनिवेश-मन्त्री, सम्राज्ञी-सरकार

नीचे हस्ताक्षर करनेवाले सम्प्रति नेटाल उपनिवेशवासी भारतीयोंका प्रार्थनापत्र नम्र निवेदन है कि,

(१) महानुभावके प्रार्थी भारतीय ब्रिटिश प्रजा हैं और नेटाल उपनिवेशके भिन्न-भिन्न भागों में निवास करते हैं।

(२) महानुभावके कुछ प्रार्थी व्यापारी हैं, जो इस उपनिवेशमें आकर बस गये हैं। कुछ पहले-पहल इकरारनामे में बँधकर भारतसे आये थे और इधर कुछ समयसे

  1. देखिए अगला शीर्षक।
  2. उपनिवेश-मन्त्री लॉर्ड रिपनके नाम नेटालके गवर्नर सर वॉल्टर हेली हचिन्सनके ३१ जुलाई, १८९४ के खरीता सं॰ ६६ का सहपत्र सं॰ १
    गांधीजीने अपनी आत्मकथाके भाग २, अध्याय १७ में कहा है कि उन्होंने भारतीयों के मताधिकार सम्बन्धी इस प्रार्थनापत्रपर बहुत परिश्रम किया था और एक पखवारेमें इसके लिए १०,००० से अधिक हस्ताक्षर प्राप्त कर लिये थे। नेटालके प्रधान मन्त्रीने इसे गवर्नरके पास भेजते हुए साथके पत्र में वे कारण बताये थे जिनके आधारपर उन्होंने अपीलको नामंजूर करने की सिफारिश की थी।
  3. देखिए अगला शीर्षक।