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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

(बीस-तीस वर्षसे भी) स्वतन्त्र हो चुके है। कुछ लोग गिरमिटमें बँधे हुए भारतीय है, कुछ इसी उपनिवेशमें जन्मे और शिक्षा पाये हुए और कुछ लोग वकीलोंके मुंशी, कम्पाउंडर, कम्पोजीटर, फोटोग्राफर, शिक्षक आदिके भिन्न-भिन्न धंधोंमें लगे भारतीय हैं। इसके अलावा, अनेक प्रार्थी उपनिवेशमें बड़ी-बड़ी जमीन-जायदादके मालिक है और माननीय विधानसभाके सदस्योंके चुनावमें मत देनेका वाजिब अधिकार रखते है। थोड़े लोग ऐसे भी है, जो जमीन-जायदाद होनेके कारण मत देनेका अधिकार तो रखते हैं, फिर भी किसी-न-किसी कारणसे मतदाता-सूचीमें अपने नाम दाखिल नहीं करा सके हैं।

(३) प्रार्थी मताधिकार कानून संशोधन विधेयकके सम्बन्धमें महानुभावको यह प्रार्थनापत्र दे रहे हैं। उक्त विधेयक उपनिवेशके प्रधानमन्त्री माननीय सर जॉन राबिन्सनने गत अधिवेशनमें पेश किया था। विधानसभामें इसका तीसरा वाचन स्वीकार हो चुका है, और माननीय गवर्नर महोदय इसे अपनी स्वीकृति इस शर्तपर दे चुके हैं कि सम्राज्ञी इसे अब भी अस्वीकार कर सकती हैं।

(४) विधेयकका हेतु यह है कि एशियाई वंशोंके जो भी लोग उपनिवेशमें बसे हैं उन सबको संसदीय चुनावोंमें मत देनेके अधिकारसे वंचित कर दिया जाये। परन्तु जिनके नाम इस मतदाता-सूचीमें वाजिब तौरसे दर्ज हैं उनको विधेयकमें अपवादस्वरूप माना गया है।

(५) उपनिवेशके सत्ताधीशोंसे न्याय पानेके लिए जो आन्दोलन किया गया है, प्रार्थी उसका संक्षिप्त इतिहास पेश करनेकी अनुमति चाहते हैं।

(६) महानुभावके प्रार्थियोंने सबसे पहले उस समय विधानसभाके सामने फरियाद की थी, जब मताधिकार कानून संशोधन विधेयकका दूसरा वाचन स्वीकार हुआ था। जब प्रार्थियोंको यह मालूम हुआ कि दूसरे वाचनके बाद दो दिनमें ही समितिने विधेयकको पास कर दिया और एक दिन बाद उसका तीसरा वाचन भी समाप्त हो जायेगा, तब ऐसा जान पड़ा कि यदि तीसरा वाचन स्थगित न किया जाये तो प्रार्थनापत्र पेश करना असम्भव होगा। इसलिए आपके प्रार्थियोंने तार[१] द्वारा विधान- सभासे प्रार्थना की कि तीसरा वाचन स्थगित किया जाये। विधानसभाने बड़ी कृपा करके एक दिनके लिए वाचन स्थगित किया। उस एक दिनमें लगभग पांच सौ भारतीयोंने एक प्रार्थनापत्रपर सही करके दूसरे दिन उसे विधानसभाके सामने पेश किया। मैरित्सबर्गमें प्रार्थियोंका एक शिष्टमण्डल प्रधानमन्त्री और महान्यायवादी सहित विधानसभाके अनेक सदस्योंसे मिला। शिष्टमण्डलको बड़े सौजन्यके साथ स्वीकार किया गया और उसकी बातें धैर्यके साथ सुनी गईं। अधिकतर सदस्योंने, जिनसे शिष्टमण्डलने भेंट की, स्वीकार किया कि प्रार्थियोंने विधानसभासे जो प्रार्थना की थी वह उचित थी। परन्तु सभीका कहना यह रहा कि प्रार्थनापत्र देरीसे दिया गया। प्रार्थनापत्रपर विचार किया जा सके, इस उद्देश्यसे प्रधानमन्त्रीने चार दिनके लिए तीसरा बाचन स्थगित करा दिया। यह भी बता देना अनुचित न होगा कि वेरुलम, रिचमंड रोड

  1. १. उपलब्ध नहीं है।