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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तो मेरा यह मत है कि निम्नतम वर्गके भारतीय निम्नतम वर्ग के यूरोपीयोंकी तुलनामें बहुत अच्छे उतरते है। अर्थात्, निम्नतम वर्गके भारतीय निम्नतम वर्ग के यूरोपीयोंकी अपेक्षा ज्यादा अच्छे ढंगसे, ज्यादा अच्छे मकानोंमें और सफाईको व्यवस्थाका ज्यादा खयाल करके रहते हैं।

मैंने यह भी देखा है कि जिस समय शहर और जिलेमें चेचकका प्रकोप था — और जिलेमें अब भी है — तब प्रत्येक राष्ट्रके एक या अधिक रोगी तो कभी-न-कभी संक्रामक रोगोंके अस्पतालमें रहे, परन्तु भारतीय कभी एक भी नहीं रहा।

मेरे खयालसे, आम तौरपर भारतीयोंके विरुद्ध सफाईके आधारपर आपत्ति करना असम्भव है। शर्त हमेशा यह है कि सफाई-अधिकारियोंका निरीक्षण भारतीयोंके यहाँ उतना ही सख्त और नियमित हो, जितना कि यूरोपीयोंके यहाँ होता है।

एच° प्रायर वील
बी° ए°, एम° बी°, बी° एस° (कैंटब)

 

परिशिष्ट ख

जोहानिसबर्ग
१८९५

मैं प्रमाणित करता हूँ कि मैंने पत्र-वाहकों के मकानोंका निरीक्षण किया है। वे स्वच्छ तथा आरोग्यजनक हालतमें हैं। वास्तवमें तो वे ऐसे हैं कि उनमें कोई भी यूरोपीय रह सकता है। मैं भारतमें रहा हूँ। मैं प्रमाणित कर सकता हूँ कि दक्षिण आफ्रिकी गणराज्यमें उनके मकान उनके भारतके मकानोंसे कहीं बेहतर हैं।

सी° पी° स्पिंक
एम° आर° सी° पी° और एल° आर° सी° एस°
(लंदन)

 

परिशिष्ट ग

जोहानिसबर्ग
१४ मार्च, १८९५

मुझे अपने धंधेके सिलसिले में जोहानिसबर्ग के उच्चतर भारतीय वर्ग (बम्बई से आये हुए व्यापारियों आदि) के घरोंमें जानेके मौके अकसर मिलते हैं। इस आधार पर मैं यह मत देता हूँ कि वे अपनी आदतों और घरेलू जीवनमें अपने समकक्ष यूरोपीयोंके बराबर ही स्वच्छ हैं।

डा° नामेचर, एम° डी°, आदि