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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


परमात्माने कहा- सुनो, जितने बीजवाले छोटे-छोटे पेड़ सारी पृथ्वीपर हैं, और जितने वृक्षोंमें बीजवाले फल होते हैं, वे सब मैंने तुमको दे दिये हैं। वे तुम्हारे भोजन के लिए हैं। और जितने पृथ्वीके पशु और आकाशके पक्षी और पृथ्वीपर रेंगनेवाले जन्तु हैं, उन सबके खानेके लिए मैंने तमाम हरे-हरे छोटे पेड़ दिये हैं। और वैसा ही हो गया।

जिसको बाकायदा ईसाई धर्मकी दीक्षा नहीं दी गई उसके मांस खानेका कोई बहाना हो सकता है; मगर जो कहते हैं, हम 'द्विज' हैं उनके लिए, अन्नाहारी ईसाइयोंके कथनानुसार, कोई बहाना नहीं है; क्योंकि उनकी हालत 'पतन' के पहलेके लोगोंकी हालत से बेहतर नहीं तो उसके बराबर अवश्य होनी चाहिए। और फिर, पुनरुद्धारके[१] समय :

भेड़िया भी भेड़के साथ रहेगा, और चीता बकरीके साथ लेटेगा, और बछड़ा और सिंहका बच्चा और कत्लके लिए मोटा किया जानेवाला पशु — सब एक साथ घूमेंगे, और छोटा-सा बच्चा उनको ले जायेगा। . . . और सिंह बैलके समान घास खायेगा। . . . मेरे सारे पवित्र पहाड़ोंपर कोई किसीको चोट नहीं पहुँचायेगा, क्योंकि जैसे समुद्र पानीले भरा रहता है, वैसे ही धरती परमात्मा के ज्ञानसे परिपूर्ण होगी।

यह समय अभी सारी दुनियाके लिए बहुत दूर हो सकता है। परन्तु ईसाई लोग — जो जानते हैं और कर सकते हैं — इसे चरितार्थ क्यों न करें? उस समयके आनेकी अपेक्षा इसके अनुसार पहलेसे ही काम करनेमें कोई हानि नहीं होगी। और हो सकता है, ऐसा करनेसे वह समय बहुत जल्द आ जाये।

आपका,

मो° क° गांधी

[अंग्रेजीसे]
नेटाल मर्क्युरी, ४-२-१८९६
 
  1. रेस्टिटयूशन