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पत्र : वि° वेडरबर्नको


सैनिकों-सम्बन्धी प्रार्थनापत्रके बारेमें आपके पत्रके लिए मैं नम्रतापूर्वक धन्यवाद देता हूँ।

आपका आज्ञाकारी सेवक,

मो° क° गांधी

अंग्रेजी (एस° एन° २२५४) की फोटो-नकलसे।

 

८७. पत्र : वि° वेडरबर्नको

पोस्ट बॉक्स ६६
सेंट्रल वेस्ट स्ट्रीट
डर्बन, नेटाल
७ मार्च, १८९६

सर विलियम वेडरबर्न, बैरोनेट, संसद सदस्य, आदि
अध्यक्ष, ब्रिटिश समिति, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
लंदन

महोदय,

मैं इसके साथ एक कतरन भेजनेकी घृष्टता कर रहा हूँ। इसमें मताधिकार विधेयक दिया गया है। इस विधेयकको सरकार नेटाल विधानसभा के आगामी अप्रैल अधिवेशन में पेश करना चाहती है। १८९४ के जिस कानूनके खिलाफ सरकारको प्रार्थना-पत्र[१] भेजा गया था, यह विधेयक उसका ही स्थान ग्रहण करता है। कहा जाता है कि इसे श्री चेम्बरलेनने मंजूर कर लिया है। अगर ऐसा हो तो इससे भारतीय समाज बड़ी अड़चनमें पड़ जायेगा। समाचारपत्रोंका खयाल ऐसा कुछ जान पड़ता है कि भारत में प्रातिनिधिक संस्थाएँ हैं, इसलिए विधेयकका असर भारतीयोंपर नहीं पड़ेगा। साथ ही, विधेयकका उद्देश्य भारतीयोंपर वार करना है, इसमें भी कोई शंका नहीं। हमारा इरादा उसका विरोध करनेका है। परन्तु इसी बीच, मेरा नम्र खयाल है, कॉमन्स सभामें एक प्रश्न कर देना बहुत उपयोगी हो सकता है। सम्भव है उससे श्री चेम्बरलेनके विचारोंका कोई आभास मिल जाये। भारतीय समाजको शीघ्र ही अन्य महत्त्वपूर्ण विषयोंके सम्बन्धमें भी आपका समय और व्यान बँटाना होगा।

आपका आज्ञाकारी सेवक,

मो° क° गांधी

अंग्रेजी (एस° एन° २२८०) की फोटो-नकलसे।

 
  1. देखिए "प्रार्थनापत्र : नेटाल विधान परिषदको", २८-६-१८९४।