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दक्षिण आफ्रिकाका संक्षिप्त इतिवृत्त

इस इतिवृत्तका उद्देश्य घटनाओंका पूरा विवरण देना नहीं है। इसमें केवल उन घटनाओंका उल्लेख किया गया है, जिनसे ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और थोड़ी-बहुत मात्रा में उन शक्तियोंको समझने में मदद मिल सकती है जो गांधीजीके कार्यकालमें दक्षिण आफ्रिकामें काम कर रही थीं।

१७९५ ब्रिटिश फौजोंने डचोंके साथ सन्धि करके केपपर कब्जा किया। भारतके मार्गपर केप एक सामरिक महत्त्वका स्थान था। ब्रिटिशोंकी कार्रवाईका यही मुख्य कारण था। इस समय वहाँ गोरे वासियोंकी संख्या १६,००० थी।
१८०२ ऐमियन्सकी सन्धिके अनुसार केप उपनिवेश डच गणराज्य सरकारको वापस दे दिया गया।
१८०६ ब्रिटेनने केपको फिरसे जीता।
१८१५ वियनाकी कांग्रेसने ब्रिटेनको केप उपनिवेश समर्पित कर देनेकी पुष्टि की।
१८२० ब्रिटिश प्रवासियोंका पहला जत्था केप उपनिवेशके तटपर उतरा।
१८२३ केपके मामलोंकी जाँच करनेके लिए आयोगकी नियुक्ति।
१८३४ केप उपनिवेशमें विधान परिषदकी स्थापना और जनमत द्वारा निर्वाचित म्युनिसिपल कमेटियोंका आरम्भ। गुलामी प्रथाका अन्त।
१८३६ महानिष्क्रमणका आरम्भ।
१८३८ नेटालमें गणराज्यकी स्थापना।
१८४१ केप उपनिवेशके नागरिकोंने विधानसभाकी स्थापनाके लिए प्रार्थना की।
१८४३ ब्रिटेन द्वारा नेटाल हस्तगत और केप कालोनी में सम्मिलित।
१८४५ नेटालमें, जो अबतक केप उपनिवेशके गवर्नर तथा विधान परिषद के अधीन था, न्यायतन्त्रका सूत्रपात।
१८४६ केप उपनिवेशके गवर्नरको उच्चायुक्त नियुक्त किया गया।
१८४७ नेटालके शहरी क्षेत्रोंमें चुनी हुई नगरपालिकाओंकी स्थापना।
१८४८ नेटालको नामजद विधान परिषदका अधिकार दिया गया। फ्री स्टेटने ऑरेंज रिवर उपनिवेशकी प्रभुसत्ता घोषित कर दी।
१८५२ सैंड रिवर सम्मेलनने ट्रान्सवालमें बोअरोंकी स्वतन्त्रता मान्य कर ली। १८५३ केप उपनिवेश संविधान अध्यादेश जारी किया गया।