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दक्षिण आफ्रिकाका संक्षिप्त इतिवृत्त


१८५४ ब्लूमफॉन्टीन सम्मेलनके फलस्वरूप ऑरेंज फ्री स्टेट और ट्रान्सवाल स्वतन्त्र हो गये। डर्बन और पीटरमैरित्सबर्गमें नगरपालिकाओंकी स्थापना।
१८५५ सम्राज्ञीसे कैदी-मजदूरोंको लाने देनेके लिए नेटालकी असफल प्रार्थना। १८५६ नेटालको शाही उपनिवेशका दर्जा और प्रातिनिधिक शासन तथा संसदीय मताधिकार प्रदान किया गया। निर्वाचित सदस्योंके बहुमतकी विधान परिषद भी स्थापित की गई। किन्तु मताधिकारके लिए साम्पत्तिक योग्यता इतनी अधिक रखी गई थी कि वतनी लोग मत देनेसे वंचित रहे।
१८५७ नेटालके सर्वोच्च न्यायालयका पुनर्गठन और आरोप योग्य मामलोंमें जूरीके द्वारा मुकदमेकी व्यवस्था। पीटरमैरित्सबर्ग में विधान परिषदकी पहली बैठक। १८५८ अमाटोंगा कबीलेके लोगोंको मजदूर बनानेके नेटालके प्रयत्न असफल। जावासे चीनी और मलायी मजदूर लाये गये। भारत सरकारसे मजदूर लाने देनेकी प्रार्थना सफल।
१८५९ नेटालकी विधान परिषदने भारतीय मजदूरोंको लानेके लिए कानून मंजूर किया।
१८६० नेटालके ईखके खेतोंमें काम करने के लिए मद्राससे भारतीय गिरमिटिया मजदूरोंके पहले जत्थेका दक्षिण आफ्रिकी भूमिपर आगमन।
१८६६ नेटालमें भारतीय गिरमिटिया मजदूरोंकी संख्या ५,००० तक पहुँच गई। १८६८ बसूटोलैंड ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।
१८६९ फ्री स्टेटमें हीरेकी खानें मिलीं।
१८७० किम्बरलेमें हीरेकी खानें पाई गई।

नेटालमें गिरमिटकी अवधि पूरी कर लेनेवाले मजदूरोंको भूमि देनेके लिए १८७० का कानून २ स्वीकृत।

बसूटोलैंडका सम्राज्ञी सरकार और फ्री स्टेटके बीच बँटवारा कर दिया गया।
१८७२ केप उपनिवेशमें पूर्ण उत्तरदायी शासनकी स्थापना।
१८७६ वतनी मामलोंके आयोगने कार्यपालिकाको वतनी लोगोंपर अधिक शासनाधिकार प्रदान किया। प्रिटोरिया नगरकी नींव पड़ी। रेलवे-निर्माण और बन्दरगाह सुधारके कार्योंके लिए भारतीय मजदूरोंको लाना फिर शुरू।
 

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