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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
१८७७ ट्रान्सवालको ब्रिटिश शासनमें शामिल कर लिया गया।
१८७८ ट्रान्सवालसे ब्रिटिश सत्ताको हटवानेके प्रयत्नोंके लिए क्रूगर इंग्लैंड गये।
१८७९ ट्रान्सवालको शाही उपनिवेशका दर्जा दिया गया।

नामजद कार्यपालिका परिषद और विधानसभाकी व्यवस्था।

'अपने ही झंडेके नीचे संयुक्त दक्षिण आफ्रिका' का निर्माण करनेके उद्देश्यसे आफिकैंडर बॉन्ड' नामक संघकी स्थापना।
१८८०-१ ट्रान्सवालका स्वातन्त्र्य संग्राम या बोअर युद्ध।
१८८१ प्रिटोरिया-समझौते द्वारा ट्रान्सवालको 'सम्राज्ञी-सरकारकी प्रभुसत्ताके अधीन पूर्ण स्वशासन का आश्वासन।
भारतीय व्यापारियोंका नेटालसे ट्रान्सवालमें प्रवेश।
१८८२ ट्रान्सवालमें पृथक् बस्तियों-सम्बन्धी आयोगका संगठन। वतनी लोगोंको पृथक् बस्तियोंमें हटाना स्वीकार कर लिया गया, किन्तु इस निर्णयको अमल में नहीं लाया गया।
१८८३ ट्रान्सवालके निर्वाचित अध्यक्ष क्रूगरकी प्रिटोरिया समझौते में संशोधन करानेके लिए लंदन-यात्रा।
१८८४ ब्रिटेन और दक्षिण आफ्रिकी गणराज्यके बीच लंदनका समझौता। उसके द्वारा देशी लोगोंको छोड़कर शेष सबको गणराज्य में प्रवेश, यात्रा तथा निवासकी स्वतन्त्रता और जो कर डच नागरिकोंपर नहीं लगाये जाते थे उनसे मुक्ति। व्यापारकी स्वतन्त्रता भी प्राप्त।

हाफमियर संसदके सदस्य चुने गये — ३२ सदस्योंके आफिकैंडर दलके नेताके रूपमें।
नेटाल विधान-परिषदने उपनिवेशकी एशियाई आबादीको सफलतापूर्वक नियन्त्रणमें रखनेके सर्वोत्तम उपाय निकालने के लिए आयोग नियुक्त करनेका निश्चय किया।

ट्रान्सवालकी जनताकी प्रतिबन्धक कानून बनानेकी माँग सम्राज्ञी-सरकारके सामने पेश कर दी गई।
१८८५ ट्रान्सवाल में एशियाइयोंके अधिकारोंपर प्रतिबन्ध लगानेवाला १८८५ का कानून ३ बना। यह कानून यूरोपीयोंकी इस माँगके कारण बनाया गया कि एशियाइयोंको पृथक् बस्तियोंमें रखा जाये। इसे बनानेके लिए सम्राज्ञी-सरकारकी अनुमति प्राप्त कर ली गई थी। न्यायाधीश रैगकी अध्यक्षतामें नेटाल