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दक्षिण आफ्रिकाका संक्षिप्त इतिवृत्त
१९०६ ट्रान्सवालमें शाही फरमानसे लिटल्टन विधान रद और उसे उत्तरदायी शासन प्रदान। केप सरकारका लॉर्ड सेलबोर्नसे अनुरोध कि दक्षिण आफ्रिकी राज्यों-का राजनीतिक एकीकरण करनेके विषय में विचार किया जाये।

एशियाई पंजीयन अध्यादेश जारी किया गया। भविष्य में एशियाइयोंको ट्रान्सवालमें न आने देनेका कानून मंजूर।
केप उपनिवेशमें १९०६ का प्रवासी अधिनियम स्वीकृत।

जुलू विद्रोह।
१९०७ ऑरेंज रिवर उपनिवेशको उत्तरदायी शासन दिया गया।

भारतीय मजदूरों-सम्बन्धी आयोगने भारतीय मजदूरोंको लानेकी सिफारिश की।
ट्रान्सवालमें आम चुनावोंके फलस्वरूप हेटफोक सत्तारूढ़।
बोथा प्रधानमन्त्री बने । एशियाई चीनी मजदूर अध्यादेशका अन्त।

दक्षिण आफ्रिकाके राजनीतिक एकीकरणके सम्बन्धमें सेलबोर्नका ज्ञापन प्रकाशित। लंदन में प्रधान मंत्रियोंका सम्मेलन।
१९०८ केपमें आम चुनावोंके फलस्वरूप मेरीमनके नेतृत्वमें दक्षिण आफ्रिकी-दल सत्तारूढ़।

डर्बनमें राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ, जिसमें फेडरल संघकी अपेक्षा संघ (यूनियन) के संविधानकी अधिकतर धाराएँ स्वीकार की गई।
स्वेच्छा से पंजीयन करानेको वैध रूप देनेके लिए कानून ३६ स्वीकार।
पंजीयन कानून रद नहीं किया गया; इसलिए भारतीय नेताओं द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलनका निश्चय।
आन्तर- औपनिवेशिक परिषद भंग।
हर्टजोगने ट्रान्सवालमें अंग्रेजी और डच भाषाओंका अनिवार्य उपयोग जारी कराया।

जुलूलैंडका विद्रोह दबा दिया गया।
१९०९ राष्ट्रीय सम्मेलनने संघ विधानके मसविदेके रूपमें एक रिपोर्ट तैयार की, जिसे ब्रिटिश संसदने स्वीकार कर लिया।
१९१० दक्षिण आफ्रिकी संयुक्त राज्यका आविर्भाव। दक्षिण आफ्रिकी दलके नेता जनरल बोथाके अधीन संयुक्त राज्यके पहले मन्त्रिमण्डलका निर्माण। हर्टजोग और स्मट्स सम्मिलित।
भारतीयों द्वारा १९०८ के प्रवासी कानूनकी सविनय अवज्ञा।