रायप्पनको पंजीयन न कराने के आरोपमें अभी-अभी गिरफ्तार कर लिया गया है और निर्वासनका आदेश दिया गया है। वे बी० ए०, एल-एल० बी० (कैंटब), लिकन्स इनसे उत्तीर्ण बैरिस्टर और दक्षिण आफ्रिकाके निवासी हैं। उनको आये कुछ ही महीने हुए हैं।
इंडिया, १८-२-१९१०
६७. श्री नानालाल शाहकी सेवाएँ
यद्यपि सत्याग्रह अब केवल कुछ एशियाइयों तक ही सीमित रह गया है तथापि ये मुट्ठी-भर एशियाई, चीनी हों अथवा भारतीय, जो दृढ़ आग्रह दिखा रहे हैं वह अत्यन्त प्रशंसनीय है। यह संघर्ष खरे आदमी पैदा कर रहा है। हाल ही में जो सत्याग्रही छोड़े गये हैं उनमें से हम एकका श्री नानालाल शाहका विशेष उल्लेख करते हैं। केवल श्री रुस्तमजी और श्री शाहको ही लगातार जेलमें लगभग पूरा वर्ष बितानेका सौभाग्य प्राप्त हुआ है। यह कैद मामूली बात नहीं थी। उन्हें अंशतः भूखा रखा गया है। प्राय: सभीका वजन घटा है और सभी बहुत दुर्बल हो गये हैं। जेलका खाना कैदियोंके शरीरोंको खोखला कर देता है। - खास तौरसे जब उन्हें श्री शाहकी तरह वहाँ लम्बे समय तक रहना पड़े।
पाठकोंको याद होगा कि श्री शाह बम्बई विश्वविद्यालयके उपस्नातक (अंडर ग्रेजुएट) हैं। वे अधेड़ उम्रके हैं किन्तु उनके सारे बाल सफेद हो गये हैं। जीवनकी निराशाओंने उन्हें समयसे पहले ही बूढ़ा कर दिया है। संघके अध्यक्ष जब शिक्षित भारतीयोंको संघर्षके प्रति उदासीनता दिखानेपर कोस रहे थे तब श्री शाहने नेटाल जानेका रेल-किराया चुकाने लायक रुपया उधार लिया और फिर चुपचाप ट्रान्सवालसे बाहर चले गये, ताकि वे तुरन्त सीमा पार करके वापस आयें और गिरफ्तार जायें । तबसे श्री शाहने दम नहीं लिया है और आसार अब ऐसे हैं कि वे छः महीनेके लिए फिर जेल चले जायेंगे। श्री शाहका शरीर टूट सकता है, परन्तु उनकी आत्मशक्ति कभी न टूटेगी। उन्होंने संघर्षको ऐसी आत्मशक्ति प्रदान की है, यह उनकी सबसे बड़ी सेवा है।
इंडियन ओपिनियन, २९-१-१९१०
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