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६६. उद्धरण: एक पत्रसे
[ जनवरी २८, १९१० ]
 

श्री रुस्तमजीको अभीतक वह खुराक नहीं दी जाती जिसकी उनके लिए फोक्सरस्टमें डॉक्टरने तजवीज की थी। वे बराबर खबरें भेज रहे हैं कि उनकी स्वास्थ्य- सम्बन्धी शिकायतोंपर ध्यान नहीं दिया जाता । श्री गोपाल नायडू आज ही रिहा हुए हैं; वे बतलाते हैं कि श्री रुस्तमजीने कल चिकित्सा अधिकारीसे लम्बी शिकायत की थी, जिसपर उनका तबादला जोहानिसबर्ग जेलमें कर दिया गया है। मैं सोम- बारको पता लगाऊँगा कि उनको कहाँ रखा जा रहा है। सर्वश्री थम्बी नायडू, अन्य कुछ लोग अब रिहा किये जा चुके हैं। इनमें कुछ तो संघर्षमें नाम पा चुके हैं। 'स्टार 'के सम्पादकसे मैंने लम्बी मुलाकात की थी। उन्होंने पूरी- पूरी सहानुभूति व्यक्त की और मुझसे कहा कि जोहानिसबर्गका प्रत्येक व्यक्ति संघर्षसे बिलकुल ऊब गया है और चाहता है कि वह समाप्त हो जाये । मणिलाल गांधीको दस दिनकी कड़ी कैदकी सजा भुगतनेके बाद आज रिहा कर दिया गया। रिहा होकर आनेवाले कैदी सरकार द्वारा खूराकमें दो औंस सेमें बढ़ा दी जानेके बावजूद अब भी खूराक कम होने और घी न दिये जानेकी शिकायतें करते हैं। सभी कैदियों- का वजन घटा है। सर्वश्री वी० एस० पिल्ले, एस० एन० नायडू और शाह आज रिहा कर दिये गये । परन्तु श्री शाह निर्वासित करनेके लिए रोक लिये गये हैं। मैं जेल गया था, परन्तु मुझे उनसे मिलने नहीं दिया गया, और न उनको बाहरसे खाना लेनेकी इजाजत ही दी गई । जेल-जीवनसे उनकी सेहत बहुत गिर गई है । उनसे यह अपेक्षा की गई थी कि वे डीपक्लूफसे जोहानिसबर्ग जेलतक सात मील अपना बंडल लेकर पैदल जायेंगे। सौभाग्यसे खुफिया पुलिसके आदमीने उन्हें सवारीका इस्तेमाल करने दिया। मैंने सवारीका प्रबन्ध कर दिया था। यदि उनको पैदल ही जाना पड़ता तो वे सड़कपर गश खाकर गिर पड़ते। श्री शाहने स्वेच्छया पंजीयन करा लिया था, इसलिए मैं निश्चित रूपसे कह सकता हूँ कि उनका निर्वासन बिलकुल गैर-कानूनी है। पंजीयक (रजिस्ट्रार) के दफ्तरमें उनकी शिनाख्तका सारा ब्योरा मौजूद है, और पंजीयक यदि चाहते तो अपनी पूरी तसल्ली कर सकते थे कि श्री शाह पंजीकृत हैं या नहीं। यह इस बातका उदाहरण है कि अधिकारी वर्ग किस तरह जनताके मार्गमें कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है, या उनको दूर कर सकता है। श्री जोज़ेफ

१. इंडियाने इस पत्रांशको "श्री गांधीके लन्दनमें उपलब्ध नवीनतम पत्रके उद्धरण" शीर्षकके अन्तर्गत उद्धृत किया था ।

२. गोपाल नायडू और मणिलाल गांधीकी रिहाई २८-१-१९१० को हुई थी ।

३. उपलब्ध नहीं है ।

४. नानालाल वी० शाह; देखिए अगला शीर्षक ।

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